श्रीनगर: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर 21 अगस्त 2024 को गठित संयुक्त समिति ने डल झील और उसकी सहायक नहरों के प्रदूषण और संरक्षण की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है। समिति ने 28 अक्टूबर 2024 को डल और नागिन झील का निरीक्षण किया और जम्मू-कश्मीर लेक कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट अथॉरिटी (एलसीएमए) द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की।
रिपोर्ट के अनुसार, डल झील के चारों ओर बफर जोन बनाए गए हैं ताकि अतिक्रमण से बचाव हो सके। झील और उसकी सहायक नहरें नैयादार और जोगीलंकर ऑक्सीजन-रहित (एनेरोबिक) हो चुकी हैं, जहां जैविक प्रदूषण का स्तर 23.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गया है। प्रदूषण कम करने के लिए एलसीएमए ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें उत्तरी किनारे पर ऑक्सिडेशन तालाबों का निर्माण शामिल है।
ये तालाब प्रतिदिन 8-10 मिलियन लीटर सीवेज को प्राकृतिक प्रक्रियाओं के जरिए शुद्ध करते हैं। यह व्यवस्था अस्थाई है और इसे गुप्तगंगा में प्रस्तावित 30 एमएलडी क्षमता वाले नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से जोड़ा जाएगा, जिसकी लागत 305 करोड़ रुपए है।
एलसीएमए के क्षेत्र में 18 नगर निगम वार्डों और अन्य क्षेत्रों से प्रतिदिन 52.4 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवेज उत्पन्न होता है, जिसे ब्रारी-नंबल, नल्ला अमीर खान, हजरतबल और अन्य एसटीपी के जरिए शुद्ध किया जाता है। इसके अलावा, 100 बायोडाइजेस्टर्स लगाए गए हैं ताकि गंदा पानी झील में जाने से रोका जा सके। अमृत 2.0 के तहत नई सीवेज योजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसके तहत नए एसटीपी का निर्माण किया जाएगा। इसका टेंडर जारी हो चुका है और तकनीकी मूल्यांकन चल रहा है।
हाउसबोट्स से निकलने वाले सीवेज के लिए 9.9 करोड़ की परियोजना शुरू की गई है। कुल 617 हाउसबोट्स में से 570 को वैज्ञानिक तरीके से सीवेज नेटवर्क से जोड़ा गया है, जबकि 47 अभी भी कनेक्शन के इंतजार में हैं। हाउसबोट्स को 11 क्लस्टर्स में बांटा गया है, और प्रत्येक क्लस्टर में ‘संप-कम-पंपिंग स्टेशन’ लगाए गए हैं, जो एचडीपीई पाइपों के जरिए सीवेज को ब्रारी-नंबल एसटीपी तक पहुंचाते हैं।
शेष हाउसबोट मालिकों को नोटिस जारी कर सीवर कनेक्शन या मॉड्यूलर एसटीपी लगाने के निर्देश दिए गए हैं।झील से जुड़ी नहरों जोगी लंकर, नैयादार रैनावाड़ी और नौवपोरा में सीवेज निपटान के लिए 7 इंटीग्रेटेड और 11 लो-लेवल पंपिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। ये उपाय डल झील को प्रदूषण से बचाने और इसके पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए उठाए गए हैं।
