Zika Virus: महाराष्ट्र का पुणे जिला जीका वायरस और गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) के बढ़ते मामलों के कारण चिंता का कारण बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 29 जनवरी को बताया कि साल 2024 में भारत के तीन राज्यों – महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में जीका वायरस के कुल 151 मामले दर्ज किए गए।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मामले
इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में 140, कर्नाटक में 10 और गुजरात में 1 मामला सामने आया। इनमें पुणे जिले में ही 125 मामले दर्ज किए गए, जिससे यह जीका वायरस का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बन गया है।
किन जिलों में मिले जीका वायरस के केस?
- महाराष्ट्र: पुणे (125), अहमदनगर (11), कोल्हापुर, सांगली, सोलापुर और मुंबई सबअर्बन में 1-1 मामला।
- कर्नाटक: बेंगलुरु अर्बन (7), शिवमोगा (3)।
- गुजरात: गांधीनगर नगर निगम (1)।
जीका वायरस क्या है और कैसे फैलता है?
जीका वायरस एक मच्छर जनित बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस नामक मच्छरों के काटने से फैलती है। यह संक्रमित गर्भवती महिलाओं से उनके भ्रूण में भी फैल सकता है, जिससे जन्मजात दोष (Microcephaly) का खतरा बढ़ जाता है। यह संभोग, रक्त आधान (Blood Transfusion) और अंग प्रत्यारोपण के जरिए भी फैल सकता है।
महाराष्ट्र में बढ़ते मामलों की वजह
WHO के अनुसार, भारत में एडीज मच्छरों का व्यापक प्रसार होने के कारण महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामले बढ़ना अप्रत्याशित नहीं है। लेकिन 2024 में दर्ज किए गए मामलों की संख्या असामान्य रूप से अधिक है, जो चिंता का विषय बन गई है।
सरकार की तैयारी और अलर्ट
3 जुलाई 2024 को भारत सरकार ने जीका के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की थी। इसके तहत:
✔ राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) को जीका समेत 40 से अधिक बीमारियों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई।
✔ राज्य स्तर पर विशेष लैब्स बनाई गईं, जो जीका वायरस की जांच और निगरानी करेंगी।
✔ महाराष्ट्र सरकार ने विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं पर फोकस किया और सतर्कता बढ़ाई।
भारत में जीका वायरस का इतिहास
- पहली बार 2016 में गुजरात में जीका वायरस का मामला मिला।
- 2021 में 1, 2022 में 3 और 2023 में 18 केस दर्ज हुए।
- 2024 में महाराष्ट्र में अब तक के सबसे ज्यादा 140 मामले दर्ज हुए।
- तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में भी समय-समय पर जीका के मामले सामने आए हैं।
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी और जोखिम
WHO ने कहा है कि जीका वायरस के असली मामले सरकारी आंकड़ों से ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि
✔ 60-80% संक्रमितों में लक्षण हल्के या बिना किसी लक्षण (Asymptomatic) के होते हैं।
✔ डॉक्टरों और जनता में इसके प्रति जागरूकता का स्तर भिन्न-भिन्न है।