Union Budget 2025-26: सरकार ने एक फरवरी 2025 को पेश केंद्रीय बजट 2025-26 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के लिए पिछले सात वर्षों में सबसे कम धनराशि आवंटित की है। यह ऐसे समय में किया गया है जब देश में चरम मौसमी घटनाएं बढ़ रही हैं और किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। 31 जनवरी 2025 को जारी आर्थिक सर्वेक्षण में भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि बदलते मौसम के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
PMFBY के बजट में कटौती
सरकार ने PMFBY के लिए 2025-26 के बजट में 12,242.27 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यह 2024-25 के संशोधित अनुमान (RE) 15,864 करोड़ रुपए से 23% कम है। इतना ही नहीं, यह 2019-20 के बाद से इस योजना को मिलने वाली अब तक की सबसे कम राशि भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2016 में इस योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य किसानों को फसल नुकसान पर व्यापक बीमा कवर देना और उनकी आय को स्थिर बनाए रखना था।
क्या योजना का असर कम हो रहा है?
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में बताया गया कि PMFBY किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों से होने वाले फसल नुकसान से बचाने में मदद करती है। लेकिन, बजट में कटौती इस ओर इशारा कर सकती है कि सरकार खुद मान रही है कि इस योजना का किसानों को उतना फायदा नहीं मिल रहा है।
बीमा कंपनियों की भागीदारी भी घटी है, कई कंपनियां इस योजना से पीछे हट रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह योजना किसानों की मदद करने में असफल रही है?
किसानों को मिलने वाले बीमा दावों में गिरावट
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, किसानों को दिए जाने वाले बीमा दावों में भारी गिरावट देखी गई है:
- 2018-19 में किसानों को 29,444.66 करोड़ रुपए के दावे मिले थे।
- 2023-24 में यह घटकर मात्र 10,391.39 करोड़ रुपए रह गया।
क्यों हो रहा है किसानों का मोहभंग?
PMFBY के तहत किसानों को दावों का भुगतान न होना या देरी से भुगतान मिलना एक बड़ी समस्या रही है। इसके कारण किसान इस योजना से दूर हो रहे हैं।
बढ़ती चरम मौसमी घटनाएं और किसानों पर प्रभाव
देश में चरम मौसमी घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार:
- 2022 से 2024 के बीच भारत में औसतन 18% दिनों में लू (Heatwave) पड़ी।
- जबकि 2020-2021 में यह मात्र 5% थी।
इससे यह साफ है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ता तापमान किसानों के लिए नई चुनौती बन रहे हैं।
क्या करने की जरूरत है?
- PMFBY को किसानों के अनुकूल बनाया जाए, ताकि उन्हें समय पर मुआवजा मिले।
- सरकार को बीमा कंपनियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए, ताकि वे योजना से न भागें।
- कृषि बीमा के बजट में बढ़ोतरी होनी चाहिए, ताकि किसानों को बेहतर सुरक्षा मिल सके।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अधिक प्रभावी योजनाएं लागू की जाएं।