नई दिल्ली का दमघोंटू धुआं फिर से सुर्खियों में है। विशेषज्ञ और यात्री अब सोच रहे हैं कि खराब होती वायु गुणवत्ता का लंबी अवधि में यात्रा पर क्या असर पड़ेगा।
हनोई की स्मॉग भरी यात्रा
पिछले साल क्रिसमस के दौरान वियतनाम की राजधानी हनोई जाने पर मैंने जो देखा, उसने मुझे हैरान कर दिया। विमान की खिड़की से झांकते हुए मैंने सोचा था कि चमकते सूरज की रोशनी में शहर जगमगा रहा होगा। लेकिन उसकी जगह, मुझे एक धुंधली, गंदी परत ने घेर लिया, जो “ब्लेडरनर” फिल्म के दृश्य जैसा लग रहा था।
सावधानी से यात्रा की योजना बनाई थी – होटल बुकिंग की थी, बीमा लिया था, और सामान भी अच्छे से पैक किया था। लेकिन एक चीज़ जो मैंने नहीं सोची थी, वह थी स्मॉग।
हनोई में उस समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “बहुत अस्वस्थ” स्तर तक पहुंच गया था। हालांकि, कुछ दिनों बाद धुंध थोड़ी साफ हो गई। लेकिन शुरुआती दिन मास्क खरीदने, सिरदर्द से जूझने और सड़कों पर घूमने के लिए सही समय का इंतजार करने में बीत गए।
धुंध का मौसम: नई सामान्य स्थिति
अब वायु प्रदूषण – चाहे वह जंगल की आग, कृषि में फसल जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन या अन्य कारणों से हो – दुनिया के कई हिस्सों में आम हो गया है। दिल्ली जैसे शहर, जहां हाल ही में वायु गुणवत्ता WHO द्वारा बताए गए सुरक्षित स्तर से 30-35 गुना खराब रही, इस समस्या को सुलझाने में संघर्ष कर रहे हैं।
इस साल दीवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन इसे नजरअंदाज कर पटाखे खूब फोड़े गए, जिससे वायु गुणवत्ता और भी खराब हो गई।
पर्यटन पर असर
कई जगहों पर “विषाक्त हवा का मौसम” अब साल का नियमित हिस्सा बन गया है। सर्दियों के मौसम में, जब तापमान कम होता है, तो प्रदूषक जमीन के पास ही फंस जाते हैं।
दुनिया के कुछ सबसे ज्यादा प्रदूषित देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर करती है।
- बांग्लादेश: 2022 में वायु गुणवत्ता के मामले में दुनिया में पांचवें सबसे खराब स्थान पर था, लेकिन वहां की GDP का 4.4% हिस्सा पर्यटन से आता है।
- मिस्र: 9वें सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले देशों में है, लेकिन यहां 12 में से 1 व्यक्ति की नौकरी पर्यटन पर निर्भर है।
यात्रा के बदलते मायने
ऐसे देशों में जहां पर्यटन का मौसम प्रदूषण से प्रभावित हो रहा है, यात्री अब सोच-समझकर यात्रा करने लगे हैं। इस समस्या का हल निकालने के लिए सरकारों को न केवल सख्त कदम उठाने होंगे, बल्कि लोगों को जागरूक भी करना होगा।
यदि यह स्थिति जारी रही, तो प्रदूषण से जूझ रहे देशों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। साफ हवा केवल नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक बुनियादी जरूरत बन गई है।