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वैश्विक स्तर पर बुजुर्गों में बढ़ रहा त्वचा कैंसर का खतरा, पुरुषों में जोखिम दोगुना

by kishanchaubey
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चोंगकिंग (चीन): चोंगकिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने नए अध्ययन में खुलासा किया है कि वैश्विक स्तर पर बुजुर्गों में त्वचा कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह वृद्धि मुख्य रूप से बढ़ती उम्रदराज आबादी और सूरज की पराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभावों के कारण हो रही है। खास बात यह है कि यह बीमारी पुरुषों को महिलाओं की तुलना में करीब दोगुना प्रभावित कर रही है। इस अध्ययन के नतीजे प्रतिष्ठित जर्नल जामा डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।

अध्ययन का दायरा और आंकड़े
शोधकर्ताओं ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के आंकड़ों का उपयोग करते हुए 1990 से 2021 तक के डेटा का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में 204 देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिसमें मेलानोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, और बेसल सेल कार्सिनोमा जैसे त्वचा कैंसर के 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों पर प्रभाव को समझने का प्रयास किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में बुजुर्गों में त्वचा कैंसर के करीब 44 लाख नए मामले दर्ज किए गए। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की दर 1990 से हर साल औसतन 2% की दर से बढ़ी है, जो 35 सालों में दोगुनी हो गई है। वहीं, बेसल सेल कार्सिनोमा के मामले प्रति लाख लोगों पर 372 और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के 237 नए मामले सामने आए। मेलानोमा के मामलों में भी लगातार वृद्धि देखी गई है।

पुरुषों में ज्यादा जोखिम
अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि त्वचा कैंसर का बोझ पुरुषों में महिलाओं की तुलना में लगभग दोगुना है। विकसित देशों, जहां सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहतर है, वहां यह बीमारी सबसे ज्यादा देखी गई। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस बीमारी की वृद्धि का कारण सिर्फ उम्र बढ़ना नहीं, बल्कि बढ़ती आबादी भी है।

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क्षेत्रीय प्रभाव
2021 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में मेलानोमा के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जहां प्रति लाख लोगों पर 158 नए मामले और कुल 1,165 मरीज रिकॉर्ड किए गए। इन देशों में मृत्यु दर 27.8 प्रति लाख रही, और प्रति लाख लोगों पर औसतन 502.2 स्वस्थ जीवन वर्षों का नुकसान हुआ। इसके अलावा, उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी यूरोप में भी मेलानोमा के मामले अधिक रहे।

पूर्वी एशिया में बेसल सेल कार्सिनोमा के मामलों में सबसे तेज वृद्धि देखी गई, जहां सालाना 6% से अधिक की औसत बढ़ोतरी दर्ज की गई।

भविष्य की चिंता
शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि 2050 तक बेसल और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के मामले बढ़ते रहेंगे, हालांकि मेलानोमा के मामलों में कमी या स्थिरता आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्वचा कैंसर के इलाज की लागत पहले ही सबसे अधिक है, और जैसे-जैसे बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है, यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

रोकथाम और जागरूकता जरूरी
अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों ने जोर दिया कि त्वचा कैंसर को समय पर जांच और उचित उपचार से काफी हद तक रोका या ठीक किया जा सकता है। यह रिपोर्ट नीति-निर्माताओं, चिकित्सकों और आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे उन क्षेत्रों और समुदायों की पहचान कर सकें जहां यह बीमारी तेजी से फैल रही है। सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाव, नियमित जांच, और जागरूकता अभियान इस बीमारी को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

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