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इंद्रायणी नदी में बढ़ता प्रदूषण: धार्मिक और पारिस्थितिकीय संकट गहराया

by kishanchaubey
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Water Pollution : महाराष्ट्र के आलंदी में स्थित पवित्र इंद्रायणी नदी पिछले दो दिनों से झाग से भरी हुई है, जिससे प्रदूषण के गंभीर स्तरों पर चिंता बढ़ गई है। यह झाग नदी में सीधे untreated (बिना उपचार) रासायनिक मिश्रित जल और सीवेज छोड़े जाने के कारण बन रहा है। धार्मिक महत्व की यह नदी अब प्रदूषण के कारण न केवल अपनी पवित्रता खो रही है, बल्कि जल जीवन, मानव स्वास्थ्य और कृषि को भी नुकसान पहुंचा रही है।

प्रदूषण के मुख्य कारण

  1. औद्योगिक कचरे की निकासी: स्थानीय उद्योगों से निकलने वाले रसायनयुक्त कचरे को सीधे इंद्रायणी नदी में बहा दिया जाता है।
  2. अशोधित सीवेज का प्रवाह: शहरों और गांवों से निकलने वाले सीवेज को बिना किसी उपचार के नदी में छोड़ा जा रहा है।

परिणामस्वरूप संकट

  • नदी में झाग: झाग की मोटी परत ने नदी को बर्फ से ढकी जगह जैसा बना दिया है।
  • जल जीवन को खतरा: इस प्रदूषण से मछलियां और अन्य जलीय जीव मरने की कगार पर हैं।
  • प्रदूषित फसलें: नदी के जल का उपयोग खेतों में सिंचाई के लिए किया जा रहा है, जिससे फसलें विषाक्त हो रही हैं। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: प्रदूषित पानी कुओं और बोरवेल में भी रिस रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में पेट की बीमारियां और त्वचा रोग जैसे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
  • धार्मिक खतरा: वारकरी समुदाय, जो इंद्रायणी नदी में स्नान और जल ग्रहण करते हैं, वे स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

स्थानीय समुदाय की नाराजगी

इस समस्या को लेकर स्थानीय नागरिक लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं। भूख हड़ताल, प्रदर्शन और बार-बार प्रशासन को ज्ञापन देने के बावजूद, समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। हाल ही में पूर्व विधायक दिलीप मोहिते-पाटिल ने इस मुद्दे को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उठाया था। हालांकि, मंत्री उदय सामंत ने समाधान का आश्वासन दिया, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

प्रशासन पर सवाल

प्रशासन द्वारा केवल वादे किए जा रहे हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर समस्या की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।

समाधान की दिशा में क्या हो सकता है?

  1. जल शोधन संयंत्र की स्थापना: औद्योगिक और घरेलू सीवेज को शुद्ध करने के लिए आधुनिक संयंत्र स्थापित किए जाने चाहिए।
  2. प्रदूषण नियंत्रण कानून का सख्ती से पालन: उद्योगों को अपने कचरे का निपटान सही तरीके से करने के लिए बाध्य किया जाए।
  3. स्थानीय समुदाय की भागीदारी: नदी को स्वच्छ रखने के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक और सक्रिय किया जाए।
  4. नियमित निगरानी: नदी के जल की गुणवत्ता की नियमित जांच और प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई हो।

इंद्रायणी नदी का प्रदूषण न केवल धार्मिक आस्था पर असर डाल रहा है, बल्कि मानव जीवन, जल जीवन और कृषि पर भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। इसे रोकने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

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