Kerala Forest Act Amendment Bill : केरल सरकार ने 1961 के केरल वन अधिनियम में संशोधन के लिए एक नया विधेयक पेश किया है। यह विधेयक जल्द ही राज्य विधानसभा के आगामी सत्र में चर्चा के लिए लाया जाएगा। हालांकि, किसान संगठनों और स्थानीय निवासियों ने इस पर अपनी आपत्तियां जताई हैं। उनका कहना है कि यह विधेयक 430 गांव पंचायतों के निवासियों के लिए समस्याएं खड़ी कर सकता है।
विधेयक का उद्देश्य
विधेयक का मुख्य उद्देश्य जंगलों में कचरा फेंकने और नदियों में कचरा डालने पर रोक लगाना है। यह नदियों और जलस्रोतों को प्रदूषित करने को अपराध की श्रेणी में लाने की योजना बनाता है। इसके अलावा, विधेयक में वन अधिकारियों को अतिरिक्त शक्तियां देने और विभिन्न अपराधों पर जुर्माने की राशि में भारी बढ़ोतरी का प्रावधान है।
प्रमुख प्रस्तावित संशोधन
- बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार
- विधेयक के अनुसार, वन अधिकारी किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार या हिरासत में ले सकते हैं, यदि उन्हें उस व्यक्ति पर किसी वन अपराध में शामिल होने का संदेह हो।
- यह प्रावधान अधिकारियों को जंगल के बाहर भी गिरफ्तारी का अधिकार देता है, जो संभावित रूप से विवाद का कारण बन सकता है।
- अधिक स्टाफ को ‘वन अधिकारी’ का दर्जा
- बीट फॉरेस्ट ऑफिसर, आदिवासी प्रहरी (ट्राइबल वॉचर) और फॉरेस्ट वॉचर को ‘वन अधिकारी’ का दर्जा दिया गया है।
- ये कर्मचारी अस्थायी नियुक्ति पर होते हैं और राजनीतिक सिफारिशों के आधार पर चयनित होते हैं। इनको इतनी बड़ी शक्तियां देना दुरुपयोग का कारण बन सकता है।
- नदियों पर अधिकार बढ़ाया गया
- विधेयक में उन नदियों को भी शामिल किया गया है जो जंगल में या जंगल के पास बहती हैं।
- इससे यह आशंका जताई जा रही है कि जंगल से बाहर बहने वाली नदियों के किनारे के स्थानीय लोग भी वन अपराध के दायरे में आ सकते हैं।
- जुर्माने में भारी बढ़ोतरी
- विधेयक में जुर्माने की राशि को कई गुना बढ़ाया गया है।
- जैसे, अभी तक मामूली वन अपराधों पर ₹1,000 का जुर्माना लगता था, जिसे बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है। कुछ मामलों में ₹50,000 तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- अधिकारियों को अत्यधिक शक्तियां
- बीट फॉरेस्ट अधिकारी किसी भी वाहन को रोक सकते हैं, तलाशी ले सकते हैं, किसी भी भवन, जमीन, या संपत्ति में प्रवेश कर सकते हैं और जांच कर सकते हैं।
- अगर किसी व्यक्ति के पास कोई वन उत्पाद पाया जाता है, तो यह मान लिया जाएगा कि वह इसे अवैध रूप से अपने पास रखता है, जब तक कि वह खुद को निर्दोष साबित न कर दे।
विवाद और चिंताएं
राज्य के कचरा प्रबंधन में सुधार की बजाय इसे केवल अपराध घोषित करने से समस्या का समाधान नहीं होगा।
स्थानीय निवासियों और किसानों की आपत्तियां
किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि यह विधेयक उनकी आजीविका को प्रभावित करेगा और अधिकारियों को मनमानी करने का मौका देगा।
खासकर नदियों के किनारे रहने वाले लोग नए प्रावधानों से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
वन अधिकारियों के दुरुपयोग की संभावना
अस्थायी और राजनीतिक सिफारिशों से नियुक्त कर्मचारियों को इतनी बड़ी शक्तियां देना भ्रष्टाचार और उत्पीड़न का कारण बन सकता है।
कचरा प्रबंधन पर सवाल