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बेंगलुरु में बढ़ता वायु प्रदूषण बना ‘साइलेंट किलर’, सीओपीडी के कारण बढ़ रही मौतें

by kishanchaubey
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वायु प्रदूषण धीरे-धीरे हमारी जिंदगी पर गहरा असर डाल रहा है और इसे ‘साइलेंट किलर’ के नाम से भी जाना जाता है। जबकि कैंसर और हार्ट अटैक जैसी बीमारियां लोगों की जान ले रही हैं, वायु प्रदूषण के कारण हो रही क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) भी तेजी से जानलेवा साबित हो रही है। बेंगलुरु से सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि शहर में होने वाली मौतों का एक तिहाई हिस्सा वायु प्रदूषण के कारण हो रहा है, जो लोगों की जीवन प्रत्याशा को कम कर रहा है।

वायु प्रदूषण का असर और बढ़ती सीओपीडी
रिसर्च के अनुसार, बेंगलुरु में 35 प्रतिशत से अधिक लोग वायु प्रदूषण के कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित हो रहे हैं। यह फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है, जिसमें वायुमार्ग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है। दिल्ली के मूलचंद अस्पताल के पल्मोनरी विभाग के डॉ. भगवना मंत्री के अनुसार, सीओपीडी के चलते फेफड़ों और वायुमार्ग पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे मरीज को सांस लेने में मुश्किल होती है और फेफड़ों में बलगम जमने के कारण खांसी और छाती में जकड़न जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण बढ़ रही मौतें
वायु प्रदूषण न केवल सीओपीडी बल्कि हार्ट अटैक और अन्य बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, प्रदूषण के कारण सीओपीडी के मामलों में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। बेंगलुरु में हर 100 में से 30 लोग सीओपीडी से प्रभावित हैं, जो प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को दर्शाता है।

सीओपीडी के लक्षण

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  • लगातार खांसी रहना
  • खांसी के साथ बलगम आना
  • छाती में कंजेशन और घरघराहट महसूस होना
  • सांस लेने में कठिनाई होना
  • त्वचा का नील पड़ना
  • अत्यधिक थकान महसूस करना
  • बार-बार फेफड़ों में इंफेक्शन होना
  • तेजी से वजन कम होना

सीओपीडी के कारण

  • वायु प्रदूषण
  • स्मोकिंग और तंबाकू का सेवन
  • धुएं और केमिकल वाली फैक्ट्रियों में काम करना

सीओपीडी का इलाज और रोकथाम
सीओपीडी का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को लगातार खांसी, बलगम और सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो उसे बिना देर किए चेस्ट एक्स-रे करवा कर डॉक्टर से मिलना चाहिए। बिना चिकित्सक की सलाह के दवाएं लेने से बलगम छाती में जमा हो सकती है, जिससे समस्या बढ़ सकती है। समय पर सही इलाज से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है और स्वास्थ्य बेहतर बना रह सकता है।

स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी
वायु प्रदूषण के कारण बढ़ती बीमारियों के बीच, स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना आवश्यक है। सुबह की सैर या जिम करने के बावजूद हम इस जहरीली हवा से नहीं बच सकते, लेकिन उचित सावधानी और नियमित स्वास्थ्य जांच के जरिए हम अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं।

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