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हरियाणा में भूजल संकट गहराया, 136% तक पहुंचा दोहन; गोपनपल्ली झील प्रदूषण पर एनजीटी सख्त

by kishanchaubey
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Haryana

Groundwater crisis Haryana : केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में हरियाणा में पानी की गंभीर किल्लत की चेतावनी दी है। 3 मई 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल इस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की सिंचाई जरूरतें उपलब्ध सतही और भूजल संसाधनों से कहीं अधिक हैं।

हरियाणा में जल संकट की स्थिति: रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा में सतही जल की उपलब्धता बेहद सीमित है। पंजाब की प्रमुख नदियां सतलुज, ब्यास और रावी हरियाणा से होकर नहीं बहतीं। इन नदियों का पानी भाखड़ा नहर के जरिए राज्य के पश्चिमी हिस्सों तक पहुंचता है। दूसरा प्रमुख स्रोत यमुना नदी है, जिसका पानी हरियाणा उत्तर प्रदेश के साथ साझा करता है। हालांकि, यह भी राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए नाकाफी है।

ऐसे में भूजल हरियाणा में ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है। ‘डायनामिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स असेसमेंट 2024’ के अनुसार, राज्य की सालाना भूजल पुनर्भरण क्षमता 10.32 अरब घन मीटर (बीसीएम) है, जिसमें से 9.36 बीसीएम उपयोग के लिए उपलब्ध है। लेकिन, हरियाणा में प्रतिवर्ष 12.72 बीसीएम भूजल का दोहन हो रहा है, जो उपलब्ध क्षमता का 136% है। यह स्थिति भूजल संसाधनों पर अत्यधिक दबाव को दर्शाती है।

क्षेत्रवार स्थिति: हरियाणा के 143 ब्लॉकों/शहरी इकाइयों में से 88 (61.54%) में भूजल का अति दोहन हो रहा है। 11 ब्लॉक (7.69%) गंभीर, 8 (5.59%) आंशिक रूप से गंभीर और केवल 36 ब्लॉक (25.17%) सुरक्षित श्रेणी में हैं। 2023 की तुलना में 2024 में भूजल पुनर्भरण 9.55 से बढ़कर 10.31 बीसीएम और उपलब्ध भूजल 8.69 से 9.36 बीसीएम हुआ है। लेकिन, दोहन भी 11.8 से बढ़कर 12.72 बीसीएम हो गया, जिससे दोहन दर 135.74% से बढ़कर 135.96% हो गई।

कृषि पर निर्भरता: हरियाणा में भूजल का सबसे ज्यादा उपयोग कृषि के लिए होता है। राज्य की 35 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 11.21 लाख हेक्टेयर में ट्यूबवेल से सिंचाई होती है। इसके लिए 8.5 लाख ट्यूबवेल उपयोग में हैं।

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सुझाव: रिपोर्ट में भूजल के टिकाऊ उपयोग के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। किसानों को धान और पानी की अधिक खपत वाली फसलों के बजाय मक्का, सूरजमुखी, कपास, सब्जियां, बाजरा और मूंग जैसी कम पानी वाली फसलों को अपनाने की सलाह दी गई है। साथ ही, फसल विविधता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों को लागू करने पर जोर दिया गया है।

गोपनपल्ली झील प्रदूषण पर एनजीटी की कार्रवाई: दूसरी ओर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हैदराबाद की गोपनपल्ली झील में बढ़ते प्रदूषण के मामले में सख्त रुख अपनाया है। 1 मई 2025 को स्वत: संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, तेलंगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हैदराबाद महानगर जल आपूर्ति व सीवरेज बोर्ड को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। इन विभागों को अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले जवाब दाखिल करने को कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई 2025 को होगी।

प्रदूषण का कारण: 15 अप्रैल 2025 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के आधार पर एनजीटी ने यह कदम उठाया। खबर के अनुसार, गोपनपल्ली झील में संदिग्ध जल प्रदूषण के कारण बड़ी संख्या में मछलियां मर रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पास के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से असंसाधित या अपर्याप्त रूप से साफ किया गया गंदा पानी झील में डाला जा रहा है। इसके अलावा, नल्लागंडला और गोपनपल्ली जैसे आसपास के इलाकों से गंदा पानी भी झील को प्रदूषित कर रहा है। ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को कई शिकायतें मिलने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

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