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ओडिशा में हाथियों का आतंक: किसानों की फसलें नष्ट, राहत की मांग बढ़ी

by kishanchaubey
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Odisha News : ओडिशा के किसानों को इन दिनों हाथियों के आतंक का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के तटीय क्षेत्रों से लेकर पश्चिमी इलाकों तक, हाथियों के झुंड खेतों में घुसकर फसलों को खा रहे हैं और बर्बाद कर रहे हैं। इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है, खासकर उन पके हुए धान के खेतों में जो कटाई के लिए तैयार थे।

हाथियों के हमले का दायरा बढ़ा

कटक जिले में कपिलाश के जंगलों से आए लगभग 17 हाथियों का झुंड इलाके में दहशत फैला रहा है। ये हाथी न केवल फसलों को रौंद रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोगों में भी डर का माहौल बना रहे हैं। किसान ठंड भरी रातों में अपने खेतों की रखवाली करने को मजबूर हैं।

धेनकानाल जिले में, काशियडीही और तालापोखरी इलाकों में 18 हाथियों के झुंड ने धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। वहीं, सुंदरगढ़ जिले के के. बालंग क्षेत्र में हाथियों ने गांवों में घुसकर बाड़ों को तोड़ा और स्कूल की इमारतों को भी क्षति पहुंचाई।

उडाला वन क्षेत्र के कुसुमिया गांव में 40 हाथियों का एक बड़ा झुंड किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। यहां भारी मात्रा में धान की फसल नष्ट कर दी गई है, जिससे ग्रामीण परेशान और असहाय महसूस कर रहे हैं।

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बोलांगीर और नीलगिरि के किसानों की समस्याएं बढ़ीं

बोलांगीर के मुरिबहाल क्षेत्र में, हाथियों ने केवल फसलें खाई ही नहीं, बल्कि उनसे कहीं ज्यादा फसलें रौंदकर बर्बाद कर दीं। यहां घरों और सोलर पैनलों को भी नुकसान पहुंचा है।

नीलगिरि में आलू की खेती करने वाले किसानों की स्थिति भी खराब है। सरकारी सहायता से आलू की खेती में निवेश करने वाले किसानों को हाथियों के डर से नुकसान झेलना पड़ रहा है। कई किसान आलू के बीजों को घर पर रखने को मजबूर हैं, क्योंकि खेतों में हाथियों के हमले का खतरा बना हुआ है।

वन विभाग की कोशिशें और किसानों की नाराजगी

वन विभाग ने प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का भरोसा दिलाया है। एक मोबाइल ऐप के जरिए नुकसान का आकलन तेजी से किया जा रहा है, ताकि पीड़ितों को समय पर राहत मिल सके। वन मंत्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने कहा कि जंगलों में हाथियों के लिए उपयुक्त आवास बनाने के लिए वनीकरण की परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इसका उद्देश्य हाथियों को आबादी और खेती के क्षेत्रों से दूर रखना है।

हालांकि, किसानों का कहना है कि मुआवजा उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं है। सलगांव गांव के तंगी ब्लॉक के किसानों ने कहा, “हमने अब तक अपनी फसलें नहीं हटाई हैं। पूरी रात जागकर खेतों की रखवाली कर रहे हैं। हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।”

स्थायी समाधान की जरूरत

हाथियों के लगातार हमलों से परेशान किसान वन विभाग से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं। सरकार को हाथियों के विचरण क्षेत्रों और कृषि क्षेत्रों के बीच एक स्पष्ट सीमा रेखा खींचने और उन पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत है।

इस समस्या से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है, बल्कि उनके जीवन यापन का तरीका भी खतरे में पड़ गया है। यदि हाथियों के हमलों पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो इसका राज्य की कृषि पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

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