River Pollution : पुणे के बनकर क्षेत्र में शुक्रवार को राम नदी और मुला नदी के संगम के पास बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियां पाई गईं। यह घटना दो सप्ताह में दूसरी बार हुई है, जिसने नदी प्रदूषण और पारिस्थितिकी तंत्र को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
पुणे रिवर रिवाइवल ग्रुप, जो नागरिकों का एक पर्यावरण संरक्षण समूह है, नदीफ्रंट डेवलपमेंट (RFD) परियोजना की प्रगति पर नजर रखने के दौरान इस घटना का पता लगाया। समूह के स्वयंसेवकों ने बताया कि मछलियों की मौत और नदी के किनारों को सजावटी काम के लिए नुकसान पहुंचाना यह दर्शाता है कि नदी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
संभावित कारण
ग्रुप की स्वयंसेविका प्राजक्ता महाजन ने बताया,
“राम नदी और मुला नदी के संगम पर बड़ी संख्या में मछलियां मृत पाई गईं। इसका कारण वहां स्थित टूटा हुआ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) हो सकता है, जिसके कारण दूषित पानी नदी में मिल रहा है। कुछ दिन पहले, मुठा नदी में भी इसी तरह की घटना हुई थी।”
पहले की घटना और प्रशासन की भूमिका
23 दिसंबर को, मुला-मुठा नदी में बड़ी संख्या में तिलापिया प्रजाति की मछलियां मृत पाई गई थीं। यह घटना बंड गार्डन के पास नाईक बेट नामक द्वीप पर हुई थी। इस पर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) ने 26 दिसंबर को पुणे नगर निगम (PMC) को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। बोर्ड ने PMC पर बिना शुद्धिकरण किए गंदा पानी नदी में छोड़ने का आरोप लगाया था और 15 दिनों में जवाब देने के लिए कहा था।
स्वयंसेवकों की राय और PMC की जिम्मेदारी
अमित राज, जो समूह के एक अन्य स्वयंसेवक हैं, ने बताया कि इस प्रकार की घटनाएं बार-बार हो रही हैं।
“आज की घटना, पहले की घटना जैसी ही है। लेकिन प्रशासन इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। PMC को गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित करना चाहिए और सभी गंदे पानी को शुद्ध कर नदी में छोड़ना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि मछलियों की मौत का मुख्य कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन दूषित पानी से होने वाला प्रदूषण मुख्य वजह हो सकती है। इस क्षेत्र में नदी का पानी गहरा काला हो गया है। MPCB और PMC को इसकी शिकायत दर्ज कराई गई है और दोनों विभागों के अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा कर पानी के सैंपल लिए हैं।
नदी संरक्षण की जरूरत
नदियों में प्रदूषण के बढ़ते मामलों से पुणे में जल पारिस्थितिकी तंत्र और मछलियों की जीवनशैली पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए उचित उपाय करना न केवल प्रशासन की बल्कि नागरिकों की भी जिम्मेदारी है।