Delhi: दिल्ली, जहां गगनचुंबी इमारतें और तेज़ रफ्तार जिंदगी हर किसी का ध्यान आकर्षित करती हैं, वहीं एक अनदेखी कहानी भी चल रही है। जैसे-जैसे नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) का शहरीकरण बढ़ रहा है, हरियाली वाले क्षेत्र तेजी से घट रहे हैं। नतीजतन, वन्यजीवों को अपने प्राकृतिक आवास छोड़कर इंसानी बस्तियों का रुख करना पड़ रहा है। यह संघर्ष उनके लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
वन्यजीव और इंसानों के बीच बढ़ते टकराव
शहरी इलाकों में भोजन और पानी की तलाश में आने वाले वन्यजीवों के कारण मनुष्यों और जानवरों के बीच टकराव बढ़ रहा है। हालांकि, अब लोग ज्यादा जागरूक हो गए हैं। पहले जहां डर और गुस्से में लोग प्रतिक्रिया करते थे, अब वे वन्यजीव संगठनों से मदद ले रहे हैं।
Wildlife SOS: वन्यजीवों की रक्षा में एक बड़ा नाम
Wildlife SOS जैसी संस्थाएं संकट में फंसे जानवरों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। 2024 में संस्था की Rapid Response Unit ने दिल्ली-एनसीआर में 1,600 से ज्यादा पक्षियों और जानवरों को बचाया। इनमें घायल, बीमार और संकटग्रस्त जीव शामिल थे।
सर्दियों में पक्षियों पर संकट
2023 की कड़ाके की ठंड ने दिल्ली की ब्लैक काइट, ब्लू रॉक कबूतर, मोर और पेंटेड स्टॉर्क जैसे पक्षियों को खासा प्रभावित किया। दिसंबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच 120 से अधिक पक्षियों को ठंड के कारण हाइपोथर्मिया, फ्रॉस्टबाइट और शॉक से बचाने के लिए चिकित्सा दी गई।
दिल्ली में हुई कुछ यादगार बचाव कार्रवाइयां
- ब्लैक काइट बचाव: ठंड के कारण घायल हुई कई ब्लैक काइट्स को समय पर इलाज देकर वापस आसमान में उड़ने का मौका दिया गया।
- मोर बचाव: रिहायशी इलाकों में फंसे मोरों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
- सांप और बंदर बचाव: इंसानी बस्तियों में फंसे सांप और बंदरों को भी सुरक्षित तरीके से जंगलों में छोड़ा गया।
सह-अस्तित्व की ओर बढ़ते कदम
आज, दिल्ली के लोग यह समझने लगे हैं कि वन्यजीव हमारे पर्यावरण का अहम हिस्सा हैं। लोग वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने के बजाय उनके प्रति संवेदनशील हो रहे हैं और सहायता के लिए विशेषज्ञों से संपर्क कर रहे हैं।
हम क्या कर सकते हैं?
- वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने से बचें।
- संकट में फंसे जानवरों के लिए Wildlife SOS जैसी संस्थाओं से संपर्क करें।
- शहरी इलाकों में हरियाली बढ़ाने के लिए पेड़ लगाएं।
- पक्षियों और जानवरों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करें, खासकर सर्दियों और गर्मियों में।