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जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर संकट: ताजा खबर और समाधान की दिशा में कदम

by kishanchaubey
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जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान आज की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से हैं। इस पर दुनिया भर के नेता और वैज्ञानिक तेजी से ध्यान दे रहे हैं। हाल की कुछ प्रमुख खबरें और तथ्य इस प्रकार हैं:

जलवायु से जुड़ी ताजा खबरें

  • वैंकूवर में प्राकृतिक गैस पर रोक: वैंकूवर शहर ने नए भवनों में प्राकृतिक गैस के उपयोग की अनुमति देने वाले संशोधन को रद्द करने के लिए मतदान किया है।
  • 2023 के ओकानागन जंगल की आग: एक अध्ययन में सिफारिश की गई है कि जंगल की आग के प्रभाव को सीमित करने के लिए विकास को नियंत्रित करना चाहिए।
  • प्लास्टिक प्रदूषण का संकट: करोड़ों टन प्लास्टिक दुनिया भर में पर्यावरण को दूषित कर रहा है।

जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मानव गतिविधियां हैं, जैसे:

  • जीवाश्म ईंधन जलाना: कोयला, तेल, और प्राकृतिक गैस का उपयोग।
  • पशुपालन: मवेशियों से निकलने वाली मीथेन गैस।

ये गतिविधियां वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ा रही हैं, जिससे धरती की सतह का तापमान बढ़ रहा है।

वैज्ञानिक चेतावनी

  • IPCC ने दशकों से चेतावनी दी है कि जलवायु संकट से जंगल की आग, बाढ़ और गर्मी की लहरें अधिक तीव्र और बार-बार होंगी।
  • NASA के वैज्ञानिक कहते हैं, “धरती गर्म हो रही है, और इसका मुख्य कारण मानव गतिविधियां हैं।”
  • जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए 1.5°C तापमान सीमा का लक्ष्य तेजी से मुश्किल होता जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन के त्वरित तथ्य

  • धरती का तापमान बढ़ा है: 1800 के दशक की तुलना में अब धरती लगभग 1.3°C गर्म हो चुकी है।
  • 2023 सबसे गर्म वर्ष रहा: 2016 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2023 ने सबसे गर्म साल का दर्जा हासिल किया। 2024 और भी गर्म होने की संभावना है।
  • CO2 स्तर में वृद्धि: 1850 से अब तक वायुमंडल में CO2 की मात्रा लगभग 49% बढ़ चुकी है।
  • पेरिस समझौता: दुनिया 1.5°C तापमान सीमा को बनाए रखने के लक्ष्य पर नहीं है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो समुद्र का स्तर बढ़ेगा और सूखा, गर्मी और जंगल की आग अधिक तीव्र हो जाएगी।
  • तापमान वृद्धि का खतरा: IPCC के अनुसार, वर्तमान कार्बन उत्सर्जन के साथ, इस सदी में तापमान 3.6°C तक बढ़ सकता है।
  • गैस उत्सर्जन कम करने की आवश्यकता: तापमान को 1.5°C से नीचे रखने के लिए 2020 से 2030 तक उत्सर्जन में हर साल 7.6% की कमी आवश्यक है।
  • वैज्ञानिक सहमति: 97% जलवायु वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मानव है।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • मानव स्वास्थ्य:
    • बढ़ते तापमान से हीट स्ट्रोक और गर्मी से होने वाली बीमारियां बढ़ रही हैं।
    • बाढ़ और सूखे जैसी घटनाएं खाद्य उत्पादन को प्रभावित करती हैं, जिससे कुपोषण और भुखमरी बढ़ सकती है।
    • वायु प्रदूषण से फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं।
  • पर्यावरण पर प्रभाव:
    • जैव विविधता का नुकसान: कई वन्यजीव प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।
    • समुद्र का स्तर बढ़ना: तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा।
    • कृषि पर प्रभाव: असामान्य मौसम के कारण फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

समाधान की दिशा में कदम

  • नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना।
  • कार्बन उत्सर्जन में कटौती: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और हरित प्रौद्योगिकी को अपनाना।
  • जंगलों की रक्षा: वनों की कटाई को रोककर प्राकृतिक कार्बन सिंक को बनाए रखना।
  • जन जागरूकता: जलवायु शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम।

निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है, जिसका समाधान तत्काल आवश्यक है। सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर जीवन सुनिश्चित किया जा सके।

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