नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आश्चर्य जताते हुए कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार को बागजोला नहर में गिरने वाले नालों की संख्या की कोई जानकारी नहीं है और इस संबंध में अब तक कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है। ऐसे में एनजीटी ने पश्चिम बंगाल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को केष्टोपुर और बागजोला नहरों के पानी के नमूने की रिपोर्ट हर तीन महीने में जमा करने का निर्देश दिया है।
11 सितंबर, 2024 को दिए इस निर्देश के मुताबिक नहरों द्वारा कवर किए गए पूरे क्षेत्र के पानी के नमूने की रिपोर्ट पश्चिम बंगाल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हलफनामे पर दाखिल करनी है। इसके साथ ही यदि पानी की गुणवत्ता का कोई भी मापदंड स्वीकृत सीमा से अधिक है, तो बोर्ड को इस बारे में संबंधित विभागों को सूचित करना होगा।
रिपोर्ट में जानकारी का अभाव
एनजीटी की पूर्वी बेंच ने पश्चिम बंगाल पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट को ‘बहुत अधूरी’ बताते हुए आलोचना की है। रिपोर्ट में आवश्यक जानकारी, जैसे विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की मंजूरी और नहर की सफाई के लिए निविदाएं आमंत्रित करने की समयसीमा, का अभाव है।
बागजोला नहर की स्थितिबागजोला नहर, जो एक सदी से भी पुरानी है, ब्रिटिश काल से चली आ रही है। हालांकि, इसमें गिरने वाले नालों की संख्या का कोई मौजूदा आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। एनजीटी ने इस लापरवाही पर हैरानी जताई है कि राज्य सरकार ने इस विषय में आज तक कोई अध्ययन नहीं किया।
नये हलफनामें की आवश्यकता
एनजीटी ने कहा है कि मौजूदा हलफनामे में आंकड़ों की कमी के कारण पश्चिम बंगाल के पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को नया हलफनामा दाखिल करना होगा। यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए चिंताजनक है, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा कर रही है।