हिमाचल प्रदेश की ठंडी और दुर्गम स्पीति घाटी अब देश के सबसे बड़े संरक्षण रिजर्व का घर बन गई है। राज्य सरकार ने 7 मई, 2025 को टसराप चू संरक्षण रिजर्व को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 36ए(1) के तहत अधिसूचित किया।
1585 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ यह रिजर्व पश्चिम बंगाल के रापन चकोट (1340.34 वर्ग किलोमीटर) को पीछे छोड़कर देश का सबसे बड़ा संरक्षण रिजर्व बन गया है। यह हिमाचल का पांचवां और देश का 146वां संरक्षण रिजर्व है।
टसराप चू का भौगोलिक विस्तार इसे जैव विविधता और पारिस्थितिकी की दृष्टि से अहम बनाता है। यह उत्तर में लद्दाख की सीमा, पूर्व में किब्बर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, दक्षिण में कबजीमा नाला और पश्चिम में चंद्रताल वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी व बारालाचा दर्रा तक फैला है। यह क्षेत्र चारप नाला का जलग्रहण क्षेत्र होने के साथ-साथ किब्बर और चंद्रताल अभयारण्यों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारा भी है।
हिम तेंदुए का गढ़:
टसराप चू संरक्षण रिजर्व विशेष रूप से हिम तेंदुए (स्नो लैपर्ड) के लिए जाना जाता है, जिसे “पहाड़ों का भूत” कहा जाता है। 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले इस छिपकर रहने वाले शिकारी की स्पीति में घनी आबादी है।
इसके अलावा तिब्बती भेड़िया, भरल, हिमालयी आइबेक्स, कियांग, तिब्बती अर्गली, रोज फिंच, तिब्बती रैवेन और येलो-बिल्ड चौघ जैसी दुर्लभ प्रजातियां इस क्षेत्र की जैव विविधता को समृद्ध करती हैं।
स्थानीय समुदाय की भागीदारी:
स्पीति वन प्रभाग के डीएफओ मंदार जेवरे ने बताया कि यह अधिसूचना ग्राम पंचायतों के साथ विस्तृत परामर्श और क्षेत्रीय सर्वेक्षणों का परिणाम है। उन्होंने कहा, “यह रिजर्व वन्यजीव संरक्षण, वाइल्डलाइफ रिसर्च, ट्रेकिंग, इको-पर्यटन और फोटोग्राफी को बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय समुदायों को आजीविका के नए अवसर मिलेंगे।” रिजर्व का प्रबंधन एक समिति के जरिए होगा, जिसमें पंचायत प्रतिनिधि शामिल होंगे, जो संरक्षण और स्थानीय जरूरतों में संतुलन बनाएगी।
हिमाचल में संरक्षण को नई दिशा:
प्रधान मुख्य वन संरक्षक अमिताभ गौतम ने कहा, “यह अधिसूचना समुदाय आधारित संरक्षण को बढ़ावा देगी और स्थानीय लोगों को संरक्षण प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाएगी।” हिमाचल में पहले से दाड़लाघाट, नैणा देवी, पोटर हिल और शिल्ली संरक्षण रिजर्व मौजूद हैं, लेकिन टसराप चू का आकार और जैव विविधता इसे खास बनाती है।
संरक्षण रिजर्व का महत्व:
संरक्षण रिजर्व राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के बाहर जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों को संरक्षित करते हैं। इनका उद्देश्य समुदाय की भागीदारी से सतत संरक्षण को बढ़ावा देना है। टसराप चू न केवल हिम तेंदुए और अन्य दुर्लभ प्रजातियों के आवास को सुरक्षा देगा, बल्कि स्थानीय जनजातीय समुदायों के लिए ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और इको-टूरिज्म जैसे रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।