वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अप्रैल 2025 में भी तापमान की बढ़ती प्रवृत्ति जारी रही, जिसने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या 2025 अब तक का सबसे गर्म वर्ष बन सकता है? इस बारे में नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (NCEI) की ताजा रिपोर्ट ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अब तक का सबसे गर्म वर्ष बनने की संभावना केवल 3% है, लेकिन यह साल अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शामिल होने की 99% से अधिक संभावना रखता है। जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच वैश्विक सतह का औसत तापमान NOAA के 176 साल के रिकॉर्ड में दूसरा सबसे गर्म रहा, जो 20वीं सदी के औसत से 1.28 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यह 2024 की समान अवधि से केवल 0.06 डिग्री सेल्सियस कम है, जब तापमान 1.34 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था।
बढ़ती गर्मी से बिगड़ता मौसम
रिपोर्ट में सामने आया है कि 2025 के पहले चार महीनों में दुनिया के अधिकांश हिस्से सामान्य से अधिक गर्म रहे। न केवल जमीन, बल्कि महासागरों का तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। आर्कटिक महासागर, एशिया, अलास्का, उत्तरी कनाडा और उत्तरी यूरोप में तापमान 1991-2020 के औसत से 2.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
उत्तरी कनाडा, पश्चिमी और मध्य-दक्षिण प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, दक्षिणी महासागर, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अटलांटिक, यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई।
हालांकि, मध्य उष्णकटिबंधीय और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों, मध्य और दक्षिणी अफ्रीका, उत्तर-पश्चिमी और दक्षिण-पूर्वी अटलांटिक में तापमान औसत के आसपास या थोड़ा ठंडा रहा। दुनिया के किसी भी हिस्से में जनवरी से अप्रैल की अवधि रिकॉर्ड ठंडी नहीं रही।
महाद्वीपों पर गर्मी का प्रकोप
सात में से छह महाद्वीपों ने जनवरी से अप्रैल 2025 को अपने दस सबसे गर्म वर्षों में दर्ज किया। ओशिनिया में यह अवधि रिकॉर्ड की सबसे गर्म रही, जहां तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.62 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
एशिया में यह दूसरी सबसे गर्म अवधि थी, जिसमें तापमान औसत से 3.01 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। यूरोप ने तीसरी, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका ने चौथी, जबकि उत्तरी अमेरिका ने आठवीं सबसे गर्म अवधि दर्ज की।
ध्रुवों पर भी गर्मी की मार
आर्कटिक और अंटार्कटिका भी गर्मी की चपेट में रहे। आर्कटिक में जनवरी से अप्रैल दूसरी सबसे गर्म अवधि रही, जहां तापमान औसत से 3.68 डिग्री सेल्सियस अधिक था। अंटार्कटिका में तापमान औसत से 0.31 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
अप्रैल 2025: दूसरा सबसे गर्म अप्रैल
रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 दुनिया का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा, जब तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.22 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यह 2024 के रिकॉर्ड सबसे गर्म अप्रैल से केवल 0.07 डिग्री सेल्सियस कम था। अब तक के दस सबसे गर्म अप्रैल 2010 के बाद दर्ज किए गए, जिनमें नौ 2016 के बाद आए। यह लगातार 49वां अप्रैल है, जब तापमान औसत से अधिक रहा।
जमीनी तापमान की बात करें तो अप्रैल 2025 अब तक का सबसे गर्म अप्रैल रहा, जिसमें तापमान औसत से 1.97 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो 2016 के पिछले रिकॉर्ड को 0.05 डिग्री सेल्सियस से पीछे छोड़ गया। महासागरों में अप्रैल 2025 दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा, जिसमें तापमान औसत से 0.88 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
न्यूट्रल मौसमी पैटर्न
रिपोर्ट में बताया गया कि अप्रैल 2025 में न तो अल नीनो और न ही ला नीना की स्थिति थी। यह न्यूट्रल स्थिति उत्तरी गोलार्ध में गर्मियों और दक्षिणी गोलार्ध में सर्दियों तक बनी रह सकती है। उत्तरी गोलार्ध में अप्रैल दूसरा सबसे गर्म रहा, जिसमें तापमान औसत से 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में यह 0.85 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
क्षेत्रीय प्रभाव: एशिया में रिकॉर्ड गर्मी
एशिया ने अप्रैल 2025 में अब तक का सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया, जिसमें तापमान औसत से 3.23 डिग्री सेल्सियस अधिक था। पाकिस्तान में दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा, जहां तापमान 3.37 डिग्री सेल्सियस अधिक था। भारत और पाकिस्तान में 14 से 30 अप्रैल के बीच भीषण लू चली, जिसमें तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
इससे बिजली की मांग बढ़ी और खेतों में काम करने वाले मजदूर बीमार पड़े। थाईलैंड में भी लू ने कहर ढाया, जहां माई होंग सोन में तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
यूरोप और उत्तरी अमेरिका ने पांचवां, अफ्रीका ने सातवां, ऑस्ट्रेलिया ने 11वां, और न्यूजीलैंड ने पांचवां सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया। आर्कटिक में छठा सबसे गर्म अप्रैल रहा, जबकि अंटार्कटिका भी औसत से गर्म रहा।
चरम मौसमी घटनाएं
अप्रैल 2025 में मध्य एशिया और दक्षिणी अफ्रीका में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई। उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में भी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। भारी बारिश से ब्राजील, कांगो और पश्चिमी सोमालिया में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं।
भारत में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई। हालांकि, वैश्विक स्तर पर अप्रैल 2025 सबसे सूखा अप्रैल हो सकता है।
बर्फ का पिघलना
उत्तरी गोलार्ध में बर्फ का आवरण अप्रैल 2025 में सामान्य से 820,000 वर्ग मील कम रहा, जो 2024 के साथ सबसे कम है। उत्तर अमेरिका और ग्रीनलैंड में 120,000 वर्ग मील, और यूरेशिया में 710,000 वर्ग मील कम बर्फ दर्ज की गई।
वैश्विक समुद्री बर्फ का विस्तार 480,000 वर्ग मील कम रहा, जो तीसरा सबसे कम स्तर है। आर्कटिक में 160,000 वर्ग मील और अंटार्कटिका में 320,000 वर्ग मील कम बर्फ थी।