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देश के सभी 11 बड़े महानगरों की हवा चार साल से लगातार ज़हरीली, रिसर्च में हुआ खुलासा

by kishanchaubey
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Air Pollution

भारत के शहरों में हवा कितनी ज़हरीली हो चुकी है, इसका खुलासा एक नई रिपोर्ट में हुआ है। दिल्ली की क्लाइमेट-टेक कंपनी ‘रेस्पाइर लिविंग साइंसेज’ द्वारा किए गए चार साल के अध्ययन (2021-2024) में पाया गया कि देश के सभी 11 बड़े महानगरों की हवा लगातार राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से कहीं ज्यादा प्रदूषित रही।

क्या कहती है रिपोर्ट?

स्टडी के अनुसार, देश के ज्यादातर महानगरों में हवा में मौजूद पीएम10 (PM10) जैसे खतरनाक कणों का स्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है।
PM10 वे सूक्ष्म कण होते हैं जो 10 माइक्रोमीटर से छोटे होते हैं और सांस के ज़रिए फेफड़ों तक पहुंचकर गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं।

सबसे बुरी हालत उत्तर भारत की

उत्तर भारत के शहरों की स्थिति इस अध्ययन में सबसे चिंताजनक रही। इनमें दिल्ली, पटना, लखनऊ और चंडीगढ़ शामिल हैं। कुछ चौंकाने वाले आंकड़े:

  • दिल्ली के आनंद विहार में साल 2024 में PM10 का स्तर 313.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।
  • पटना के समनपुरा में यह स्तर 237.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया।
  • ये आंकड़े भारत सरकार द्वारा तय 60 माइक्रोग्राम/घन मीटर की सीमा से चार से पांच गुना अधिक हैं।

दक्षिण भारत भी अछूता नहीं

हालांकि बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे दक्षिणी और तटीय शहरों में कुछ जगहों पर मामूली सुधार देखने को मिला है, लेकिन कोई भी शहर पूरी तरह वायु गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरा।

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क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

‘रेस्पाइर लिविंग साइंसेज’ के सीईओ रोनक सुतारिया ने रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कहा,

“यह किसी खास मौसम या त्योहार तक सीमित नहीं है, यह साल भर चलने वाला संकट है। लोग हर दिन जानलेवा हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि इस अवधि में किसी भी शहर में दीर्घकालिक और स्थायी सुधार के ठोस संकेत नहीं मिले हैं।

प्रदूषण के मुख्य कारण

रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के पीछे कई वजहें हैं:

  • वाहनों से निकलने वाला धुआं
  • औद्योगिक इकाइयों से उत्सर्जन
  • निर्माण कार्य और उड़ती धूल
  • कचरा जलाना
  • पराली जलाना (खासकर उत्तर भारत में)

सिर्फ अस्थायी उपायों से नहीं चलेगा काम

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल तात्कालिक उपायों से समस्या नहीं सुलझेगी। रिपोर्ट में निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:

  1. वायु गुणवत्ता से जुड़े मौजूदा नियमों को सख्ती से लागू किया जाए।
  2. हर शहर में प्रदूषण के स्रोतों के हिसाब से अलग रणनीति बने।
  3. एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जाए।
  4. स्वच्छ हवा को शहरी विकास योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए।

अब समय है, हवा को अधिकार नहीं बल्कि ज़रूरत माना जाए

यह अध्ययन साफ दर्शाता है कि भारत के करोड़ों लोग हर दिन ज़हरीली हवा में जी रहे हैं।
अब वक्त है जब साफ हवा को केवल एक “अधिकार” नहीं, बल्कि बुनियादी जरूरत के रूप में मान्यता दी जाए।

सरकार, उद्योग और आम नागरिक—सभी को मिलकर इस चुनौती से निपटने के लिए स्थायी कदम उठाने होंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिल सके।

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