International Epilepsy Day 2025: अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस हर साल फरवरी के दूसरे सोमवार को मनाया जाता है। यह दिन मिर्गी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, इससे जुड़े भेदभाव को खत्म करने और प्रभावित लोगों को समर्थन देने के लिए समर्पित है। इस दिन का उद्देश्य मिर्गी के प्रति समाज में सही जानकारी फैलाना और चिकित्सा जगत में हो रही प्रगति को सामने लाना है।
मिर्गी क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मिर्गी मस्तिष्क से जुड़ी एक पुरानी और गैर-संक्रामक बीमारी है, जिससे दुनिया भर में लगभग 5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। यह बीमारी मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण होती है, जिससे बार-बार दौरे पड़ते हैं।
मिर्गी से किसी भी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह बचपन या बुजुर्गावस्था में सामने आती है। इसके लक्षणों में अचानक झटके आना, चेतना खो देना, असामान्य हरकतें और अस्थायी मानसिक भ्रम शामिल हो सकते हैं।
मिर्गी कितनी आम है?
- हर साल दुनिया भर में लगभग 50 लाख नए मिर्गी के मामले सामने आते हैं।
- उच्च आय वाले देशों में, हर साल 1 लाख लोगों में से 49 को मिर्गी होने की संभावना होती है।
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह आंकड़ा 1 लाख में 139 तक पहुंच सकता है।
- अनुमान के मुताबिक, 80% से अधिक मिर्गी के रोगी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
मिर्गी के कारण क्या हैं?
मिर्गी संक्रामक रोग नहीं है, लेकिन इसके कई कारण हो सकते हैं:
- संरचनात्मक कारण – मस्तिष्क में चोट या जन्म से जुड़ी समस्याएं।
- आनुवंशिक कारण – परिवार में मिर्गी का इतिहास होना।
- संक्रामक कारण – मस्तिष्क में संक्रमण जैसे मलेरिया या न्यूरोसिस्टिकरोसिस।
- चयापचय संबंधी कारण – शरीर में पोषक तत्वों की कमी या चयापचय की समस्या।
- प्रतिरक्षा से जुड़े कारण – शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी।
- अज्ञात कारण – लगभग 50% मामलों में कारण अज्ञात होता है।
मिर्गी का उपचार और नियंत्रण
मिर्गी के प्रभाव को कम किया जा सकता है और इसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है:
- लगभग 70% मामलों में सही दवा से मिर्गी के दौरे रोके जा सकते हैं।
- नियमित रूप से दवा लेने और डॉक्टर की सलाह मानने से मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं।
- गंभीर मामलों में सर्जरी, न्यूरोमॉड्यूलेशन और विशेष आहार (कीटोजेनिक डाइट) भी मददगार हो सकते हैं।
मिर्गी से जुड़े सामाजिक भेदभाव
मिर्गी को लेकर समाज में कई तरह की गलत धारणाएं हैं, जिनके कारण मरीजों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है:
- कई देशों में मिर्गी के मरीजों को विवाह, नौकरी और ड्राइविंग लाइसेंस पाने में मुश्किल होती है।
- कुछ देशों में मिर्गी से पीड़ित लोगों को सार्वजनिक स्थानों में जाने से रोका जाता है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच सीमित होती है।
मिर्गी और मानवाधिकार
मिर्गी के मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी सुधार जरूरी हैं।
- कई देशों में मिर्गी को लेकर बने पुराने कानून अब भी भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य मानवाधिकार कानूनों के तहत मिर्गी के मरीजों को समान अवसर मिलने चाहिए।
- जागरूकता अभियानों और सरकारी नीतियों के माध्यम से मिर्गी से जुड़े मिथकों को दूर किया जाना चाहिए।