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काकीनाडा में प्रदूषण और समुद्री कछुओं की मौत की जांच के आदेश

by kishanchaubey
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Vijayawada: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने काकीनाडा के वकलापुडी औद्योगिक क्षेत्र में यूनिवर्सल बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ गंभीर वायु प्रदूषण की शिकायतों पर त्वरित जांच के आदेश दिए हैं। क्षेत्र में पिछले एक महीने से बदबूदार और जहरीली गैसों के कारण जनता में भारी आक्रोश है। इसके जवाब में उपमुख्यमंत्री ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) को निर्देश दिया कि वह प्रदूषण के स्रोत की जांच करे और यह भी सुनिश्चित करे कि कंपनी प्रदूषण मानदंडों का पालन कर रही है या नहीं।

बदबू का कारण क्या है?

कंपनी मुख्य रूप से गैर-खाद्य पाम स्टीरिन और परिष्कृत पाम ऑयल से बायोडीजल बनाती है। लेकिन हाल ही में कंपनी ने फैटी एसिड की जगह एसिड ऑयल का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिससे तीव्र और बदबूदार गैसें निकल रही हैं। यह मामला पहली बार 1 दिसंबर को द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख, “काकीनाडा में बदबू से परेशान निवासी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं,” के जरिए सामने आया।

पीसीबी की कार्रवाई

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) के चेयरमैन कृष्णैया ने काकीनाडा के पर्यावरण इंजीनियर शंकर राव को यूनिट का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया। इसके तहत पीसीबी अधिकारियों ने 21 और 22 दिसंबर की रात को फैक्ट्री का औचक निरीक्षण किया। प्रारंभिक जांच में यह पुष्टि हुई कि यूनिवर्सल बायोफ्यूल्स प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है और उसके कच्चे माल के उपयोग के कारण जहरीली गैसें निकल रही हैं।

समुद्री कछुओं की मौत की जांच के आदेश

इसी बीच काकीनाडा के समुद्र तटों पर ओलिव रिडले कछुओं की रहस्यमय मौतों ने भी प्रशासन का ध्यान खींचा। काकीनाडा बीच रोड, एपीआईआईसी और वकलापुडी जैसे क्षेत्रों में मृत कछुए पाए गए। रविवार को इन घटनाओं की जानकारी मिलने के बाद, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने वन विभाग को इस पर विस्तृत जांच के निर्देश दिए। उन्होंने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) और हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स, चिरंजीवी चौधरी को कछुओं की मौत के कारणों का पता लगाने और उनके संरक्षण के उपाय सुझाने को कहा।

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जनता की मांग

स्थानीय लोग इन घटनाओं को लेकर काफी नाराज हैं और उन्होंने प्रदूषण और वन्यजीव संरक्षण से संबंधित ठोस कदम उठाने की मांग की है। यूनिवर्सल बायोफ्यूल्स पर कार्रवाई और समुद्री कछुओं की मौत के कारणों पर स्पष्टता की उम्मीद की जा रही है।

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