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केंद्र की कृषि विपणन नीति का पंजाब सरकार और विपक्ष ने किया विरोध, बताया ‘किसान विरोधी’

by kishanchaubey
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पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार और विपक्षी कांग्रेस ने केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति’ (National Policy Framework on Agricultural Marketing) को सख्त लहजे में खारिज कर दिया। इसे “किसान विरोधी” और “पंजाब विरोधी” बताते हुए दोनों दलों ने कहा कि यह नीति राज्य के किसानों और कृषि व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है।

पंजाब के कृषि मंत्री और विपक्ष का बयान

पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि यह नीति राज्य के मजबूत कृषि खरीद तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी। उन्होंने इसे तीन विवादित कृषि कानूनों की एक नई कोशिश बताया, जिनके खिलाफ 2020-21 में किसानों ने लंबा आंदोलन किया था। वहीं, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इसे “किसानों को निजी कंपनियों के हवाले करने की साजिश” करार दिया।

केंद्र की नीति पर पंजाब की आपत्तियां

  1. प्राइवेट कंपनियों का हस्तक्षेप: खुड्डियां ने कहा कि पंजाब में पहले से मजबूत मंडी प्रणाली है, जिसे प्राइवेट कंपनियों को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे किसानों का शोषण होगा।
  2. एकल कर प्रणाली: प्रस्तावित नीति के तहत मंडियों में बिकने वाले कृषि उत्पादों पर पूरे देश में एक समान टैक्स लगाया जाएगा। खुड्डियां ने इसे “जीएसटी जैसी समस्या” बताया, जिससे राज्यों को बड़ा नुकसान हुआ है।
  3. एपीएमसी को कमजोर करना: बाजवा ने आरोप लगाया कि इस नीति का उद्देश्य कृषि उपज मंडी समितियों (APMC) को कमजोर करना है और बड़े कॉरपोरेट्स के लिए रास्ता खोलना है।
  4. एमएसपी का मुद्दा: किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की लड़ाई जारी है। बाजवा ने कहा कि केंद्र सरकार इसके विपरीत ऐसी नीतियां बना रही है जो किसानों को मजबूरन उनकी फसलें सस्ते दामों पर बेचने के लिए मजबूर करेंगी।

राज्य सरकार की रणनीति

मंत्री खुड्डियां ने कहा कि राज्य सरकार जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेगी। इसके लिए किसानों और अन्य संबंधित पक्षों से सलाह-मशविरा किया जाएगा।

  • फार्म लीडर्स की बैठक: 19 दिसंबर को किसान संगठनों के साथ चर्चा होगी।
  • विस्तृत अध्ययन: कृषि विभाग को ड्राफ्ट नीति के हर बिंदु पर राय देने के लिए कहा गया है।
  • केंद्र से समय मांगा: राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से इस नीति पर प्रतिक्रिया देने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा है।

पंजाब पर विशेष असर

पंजाब कृषि खरीद का केंद्र है, जहां मंडी व्यवस्था में करोड़ों रुपये का बुनियादी ढांचा तैयार है। खुड्डियां ने कहा, “हमारे पास इतनी व्यवस्थित खरीद प्रणाली है, इसे खत्म करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अगर यह नीति लागू हुई, तो पंजाब के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।”

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विपक्ष की चेतावनी

प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि यह नीति कृषि विपणन प्रणाली को पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने की कोशिश है। उन्होंने कहा, “एपीएमसी खत्म होने के बाद किसान निजी कंपनियों के रहमोकरम पर रह जाएंगे और अपनी फसलें सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर होंगे।”

अधिकारियों की भूमिका

इस मामले में पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) अनुराग वर्मा, पंजाब स्टेट फार्मर्स एंड फार्म लेबरर्स कमीशन के चेयरमैन डॉ. सुखपाल सिंह, और पंजाब मंडी बोर्ड के सचिव रामवीर भी चर्चा का हिस्सा बने।

आगे का रास्ता

राज्य सरकार ने केंद्र को इस नीति को खारिज करने की बात कही है। जल्द ही, किसान संगठनों और अन्य विशेषज्ञों की राय को एकत्र कर एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी।

यह नीति एक बार फिर किसानों और सरकार के बीच टकराव का मुद्दा बनती नजर आ रही है। पंजाब सरकार और किसान संगठनों ने इसे साफ तौर पर खारिज कर दिया है, और इसे लागू होने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने की बात कही है।

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