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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के राज्यों को कड़ी फटकार लगाई, क्योंकि निर्माण कार्यों पर रोक के बाद मजदूरों को भत्ता देने के आदेश का पालन नहीं किया गया। जस्टिस ए.एस. ओका और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ ने कहा, “यह देखा गया है कि बड़े अधिकारी तभी हरकत में आते हैं जब उन्हें तलब किया जाता है।”
मुख्य निर्देश और टिप्पणियां:
- मजदूरों को मुआवजा न देने पर नाराज़गी:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में से किसी भी राज्य ने मजदूरों को भुगतान का प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है।- पीठ ने टिप्पणी की, “अब तक एक पैसा भी देने का प्रमाण नहीं दिखाया गया है।”
- इन राज्यों के मुख्य सचिवों को गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।
- GRAP के तहत प्रतिबंधों में ढील से इनकार:
अदालत ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में मामूली सुधार (‘गंभीर+’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में) के बावजूद ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-4 के प्रतिबंधों में ढील देने से इनकार कर दिया।- अदालत ने कहा कि प्रतिबंधों में ढील तभी दी जाएगी जब AQI में लगातार गिरावट का रुझान दिखे।
- समन्वय की कमी पर सवाल:
अदालत ने NCR में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में “पूरी तरह समन्वय की कमी” पर नाराज़गी जताई।- दिल्ली सरकार, नगर निगम (MCD), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) जैसे संगठनों को अपनी भूमिका सही तरीके से निभाने के निर्देश दिए गए।
- कोर्ट कमिश्नरों को धमकियां:
अदालत ने बताया कि प्रदूषण की निगरानी कर रहे कोर्ट कमिश्नरों को स्थानीय माफियाओं और अपराधियों से धमकियां मिल रही हैं।- एक वकील ने कहा, “स्थानीय लोगों ने हमें डराया और कहा कि यह क्षेत्र अपराधियों और माफियाओं का है।”
- अदालत ने कमिश्नरों की प्रशंसा करते हुए दिल्ली पुलिस को उनके सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। जरूरत पड़ने पर सशस्त्र सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी।
- केंद्र सरकार की याचिका खारिज:
केंद्र सरकार के वकील ने GRAP प्रतिबंधों को “अत्यधिक बाधात्मक” बताते हुए छूट की मांग की।- अदालत ने जवाब दिया, “जब तक AQI में स्पष्ट और निरंतर गिरावट नहीं दिखती, तब तक छूट संभव नहीं।”
प्रभाव और आगे का रास्ता:
सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रुख NCR में वायु प्रदूषण और मजदूरों के कल्याण को लेकर राज्यों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्य सचिवों की पेशी और दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के आदेश के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य और एजेंसियां अदालत के निर्देशों का पालन कितनी तत्परता से करती हैं।