6
रविवार को ओडिशा के धेंकानाल और भुवनेश्वर में हाथियों के इंसानी बस्तियों के पास पहुंचने के कई मामले सामने आए। इन घटनाओं ने स्थानीय निवासियों को डरा दिया और वन विभाग को सतर्क कर दिया।
धेंकानाल में 45 हाथियों का झुंड
ढेंकनाल जिले के हिंदोल क्षेत्र में करीब 45 हाथियों का एक बड़ा झुंड देखा गया।
- मामला:
- ये हाथी एक मुख्य सड़क को पार करते हुए नजर आए, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
- हाथियों का यह झुंड पास के गांवों की तरफ बढ़ रहा था, जहां हाल ही में धान की फसल काटी गई है।
- स्थानीय लोगों का मानना है कि हाथी भोजन की तलाश में इस क्षेत्र में आए हैं।
- खतरा:
- ग्रामीणों को डर है कि हाथी उनके खेतों और घरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- झुंड को आखिरी बार पाइकपुरुनाकोट जंगल के पास देखा गया, जहां से वे हिंदोल-नरसिंहपुर मुख्य सड़क पार करते हुए कांटिमिली गांव की ओर बढ़े।
- प्रतिक्रिया:
- बड़ी संख्या में लोग हाथियों को देखने के लिए इकट्ठा हो गए।
- वन विभाग की टीम हाथियों पर नजर रख रही है और स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास कर रही है।
भुवनेश्वर के पास हाथी का बच्चा देखा गया
भुवनेश्वर के चंदका जंगल की सीमा के पास, नीलाद्री विहार इलाके में एक हाथी का बच्चा नजर आया।
- घटना:
- हाथी के बच्चे को देखकर स्थानीय लोग हैरान रह गए और बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई।
- लोग फोटो और सेल्फी लेने के लिए उत्साहित नजर आए।
- सवाल:
- भुवनेश्वर के आसपास के जंगलों के पास हाथियों का दिखना आम है, लेकिन यह बच्चा जंगल से इतनी दूर कैसे पहुंचा, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
- स्थिति:
- वन विभाग ने इलाके में नजर बनाए रखी है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि हाथी सुरक्षित रूप से वापस जंगल में लौट जाए।
चिंता और समाधान
- ग्रामीणों की चिंता:
- हाथियों के इंसानी बस्तियों के पास आने से उनकी फसल और संपत्ति को नुकसान का खतरा रहता है।
- भीड़ के कारण हाथियों के उग्र होने की संभावना भी रहती है।
- वन विभाग की सलाह:
- ग्रामीणों को सतर्क रहने और हाथियों से उचित दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई है।
- हाथियों को जंगल की ओर सुरक्षित वापस भेजने के लिए वन विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
ओडिशा में बढ़ते इंसान-हाथी संघर्ष की घटनाएं चिंता का विषय हैं।
- जंगलों के सिमटने और भोजन की कमी के कारण हाथी इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ने लगे हैं।
- वन्यजीव संरक्षण और उनके आवास क्षेत्रों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।