उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन गंगा नदी में बहने वाले untreated सीवेज (गंदा पानी) का गंभीर मुद्दा अब भी नजरअंदाज किया जा रहा है। यह स्थिति इतनी खराब है कि गंगा का पानी अब आचमन (पवित्र जल का सेवन) के लायक भी नहीं रह गया है। जो श्रद्धालु यह मानते हैं कि गंगा में स्नान से वे शुद्ध हो रहे हैं, वे अनजाने में शहर के untreated सीवेज में स्नान कर रहे हैं।
प्रदूषण और सीवेज का संकट
प्रयागराज शहर हर दिन 468.28 मिलियन लीटर (MLD) सीवेज पैदा करता है, लेकिन शहर की 340 MLD की ट्रीटमेंट क्षमता है। इसका मतलब है कि 128.28 MLD सीवेज बिना शोधन के सीधे गंगा में बहाया जा रहा है।25 नालों से बिना शोधन का गंदा पानी गंगा में गिरता है।
15 नालों का गंदा पानी यमुना नदी में जाता है।
प्रयागराज के STP का हाल
शहर में कुल 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) हैं:
9 STP: चालू हैं, लेकिन यह मानकों के अनुसार काम नहीं कर रहे।
1 STP: पूरी तरह से बंद है।
केवल सलोरी का 14 MLD STP ही तय मानकों के अनुसार पानी का शोधन कर रहा है।
इनमें से अधिकतर STP, जैसे बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), डिसॉल्व्ड ऑक्सीजन, pH, और टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स (TSS) जैसे जरूरी मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे।
गंगा बेसिन के अन्य जिलों में हालत खराब
गंगा नदी के किनारे स्थित 11 जिलों में:41 STP का निर्माण होना है।
35 STP: चालू हैं, लेकिन इनमें से 34 मानकों के अनुरूप काम नहीं कर रहे।
6 STP: अब तक पूरे नहीं हुए हैं।
इन जिलों में कुल 1337.96 MLD सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता होनी चाहिए, लेकिन सिर्फ 1116.24 MLD (85.8%) क्षमता का ही उपयोग हो रहा है। 221.72 MLD का सीवेज बिना शोधन के गंगा में बहाया जा रहा है।
फीकल कोलीफॉर्म का खतरा
41 STP में से 23 STP का पानी फीकल कोलीफॉर्म (FC) मानकों को पूरा नहीं करता।
12 STP ही तय सीमा (<230 MPN/100ML) के भीतर हैं।
23 STP में 230 MPN/100ML से अधिक FC है, जो पानी को खतरनाक बनाता है।
34 STP में डिसइंफेक्शन सिस्टम (जैसे क्लोरीनेशन) लगाए गए हैं, लेकिन फिर भी मानकों पर खरा उतरने में नाकाम हैं।
प्रमुख समस्याएं और खामियां
कानपुर देहात:
यहां कोई भी STP नहीं है, जिससे सारा सीवेज बिना शोधन के गंगा में गिरता है।
फर्रुखाबाद:
दो STP पूरी तरह बंद हैं।
बनयापुर STP (कानपुर):
15 MLD की क्षमता वाला यह प्लांट तीन साल से बनकर तैयार है, लेकिन चालू नहीं किया गया है।
अन्य जिलों का हाल:
यूपी में गंगा बेसिन के 326 नालों में से 247 नाले बिना शोधन के 3513.16 MLD गंदा पानी गंगा और उसकी सहायक नदियों में गिरा रहे हैं।
NGT के निर्देश और आगामी सुनवाई
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने गंगा की सफाई और सीवेज ट्रीटमेंट के लिए कड़ी नाराजगी जताई है।
यूपी सरकार को निर्देश:
हर जिले के नालों की स्थिति, सीवेज उत्पादन, और शोधन की योजना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें।
STP निर्माण के लिए जमीन आवंटन, वित्तीय संसाधन और समयसीमा का विवरण दें।
अगली सुनवाई: यह मामला 20 जनवरी 2025 को फिर से सुना जाएगा।
महाकुंभ और गंगा की सफाई का महत्व
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों के दौरान गंगा नदी का शुद्ध और पवित्र रहना बेहद जरूरी है।
सरकार और प्रशासन को न केवल गंगा में गिर रहे सीवेज को रोकने की दिशा में तेज़ी से काम करना होगा, बल्कि STP की कार्यक्षमता को भी दुरुस्त करना होगा।
अन्यथा, करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ होगा और गंगा की दशा और बिगड़ेगी।