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ग्रीन एनर्जी ही एकमात्र उपाय: इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में विशेषज्ञों की राय

by reporter
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इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) 2024 का उद्घाटन शुक्रवार को बिड़ला साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोसाइंसेज में किया गया। इस 10वें संस्करण का आयोजन असम के गुवाहाटी में 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक किया जाएगा। इस बार का विषय है, “भारत को एक विज्ञान एवं तकनीकी संचालित वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलना”। इस महोत्सव का उद्देश्य देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना है।

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इस आयोजन में मुख्य अतिथि सीएसआईआर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक भास्कर नारायण ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए कृषि संबंधी मुद्दों पर इस मंच पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वायु और जल प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन एनर्जी यानी स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बेहद जरूरी है। ग्रीन एनर्जी के उपयोग से पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और प्राकृतिक संसाधनों की कमी से भी निपटा जा सकेगा।

इस अवसर पर बीएसआईपी के निदेशक प्रोफेसर महेश जी ठक्कर ने कहा कि विज्ञान ने हमेशा समाज के विकास में अहम भूमिका निभाई है। भारत का विज्ञान में एक समृद्ध इतिहास है, जिसमें शून्य का अविष्कार और त्रिकोणमिति के क्षेत्र में हुई प्रगति जैसे कई महत्वपूर्ण योगदान हैं, जो प्राचीन भारतीय विद्वान आर्यभट्ट द्वारा किए गए। उन्होंने कहा कि IISF-2024 एक ऐसा मंच है जहाँ वैज्ञानिक और विशेषज्ञ अपनी नई सोच और विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे आम जनता तक पहुँचाना चाहिए ताकि हर व्यक्ति इसे समझ सके। यह विज्ञान महोत्सव स्वास्थ्य, कृषि, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं जैसे कई गंभीर मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने में भी योगदान देता है। साथ ही, इस आयोजन का उद्देश्य विज्ञान और नीति निर्माताओं के बीच की दूरी को कम करना है ताकि विज्ञान का उपयोग समाज के लाभ के लिए किया जा सके।

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पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव:

ग्रीन एनर्जी का उपयोग हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है। यह वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण को कम कर सकती है, जिससे वायुमंडल की स्वच्छता बनी रहती है। जीवाश्म ईंधन की जगह स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम करता है। इसका परिणाम होता है स्वच्छ वायु, जो श्वसन संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करता है।

इसके अलावा, ग्रीन एनर्जी का उपयोग पानी की बर्बादी को भी रोकता है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में कई स्थानों पर पानी की कमी की समस्या बढ़ रही है। पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने पर स्वास्थ्य और कृषि दोनों को फायदा होगा।

ध्वनि प्रदूषण के संदर्भ में, ग्रीन एनर्जी जैसे सोलर पैनल या विंड टर्बाइन, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में शांत होते हैं। इससे ध्वनि प्रदूषण कम होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।

इसी प्रकार के आयोजनों और जागरूकता अभियानों से ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि भविष्य में एक स्वस्थ, स्वच्छ और हरित पर्यावरण की ओर कदम बढ़ाए जा सकें।

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