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उत्तर प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण पर रोक: विश्व बैंक की मदद से ‘क्लीन एयर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट’ को मिली हरी झंडी

by reporter
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उत्तर प्रदेश में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट ने ‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट’ को मंजूरी दे दी है, जिसे विश्व बैंक की सहायता से चलाया जाएगा। छह साल का यह प्रोजेक्ट (2024-2025 से 2029-2030) खासतौर पर पीएम 10 और पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों को नियंत्रित करने पर केंद्रित है। इन कणों की अत्यधिक मात्रा से हवा में प्रदूषण बढ़ता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।

एयरशेड आधारित प्रदूषण प्रबंधन
यह भारत का पहला ‘एयरशेड आधारित’ वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्रोजेक्ट है। एयरशेड उस भौगोलिक क्षेत्र को कहा जाता है जहाँ वायु की गुणवत्ता पर समान कारकों का प्रभाव होता है, जैसे कि हवा का रुख और प्रदूषण के स्रोत। उत्तर प्रदेश इस प्रोजेक्ट को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है, जिससे पूरे क्षेत्र में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक समन्वित प्रयास हो सकेगा।

इस प्रोजेक्ट में 13 सरकारी विभाग और 8 प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। इसमें विश्व बैंक से ₹2,741.53 करोड़ और कार्बन वित्तपोषण से ₹1,119 करोड़ की सहायता मिलेगी। इसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है ताकि एक क्षेत्र में फैला प्रदूषण आसपास के इलाकों में न फैले।

उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेंट अथॉरिटी का गठन
इस प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेंट अथॉरिटी’ का गठन किया जाएगा। यह विशेष इकाई उद्योग, परिवहन, कृषि, पशुपालन, धूल और कचरे से होने वाले प्रदूषण की निगरानी करेगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक संचालन समिति गठित की जाएगी और कार्यकारी समिति का नेतृत्व अपर मुख्य सचिव (वन एवं पर्यावरण) करेंगे। इस अथॉरिटी का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रदूषण नियंत्रण लक्ष्यों को प्राप्त करना है, जिससे उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके।

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प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
प्रोजेक्ट में स्वच्छ उत्पादन प्रक्रियाओं को अपनाने पर जोर दिया जाएगा, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। कृषि क्षेत्र में उर्वरकों का सही और नियंत्रित उपयोग, स्वच्छ ऊर्जा के साधनों का विस्तार और हरित रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे। इसमें ‘पर्यावरण सखी’ और स्वच्छ ऊर्जा उद्यमी जैसे नए रोजगार विकल्प भी शामिल होंगे, जिससे लोगों को प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में रोजगार मिल सकेगा।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कणों को कम करना है, जो सांस और दिल से जुड़ी बीमारियों का प्रमुख कारण हैं। वायु प्रदूषण में कमी आने से लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा। यह प्रोजेक्ट बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य में सुधार करेगा, क्योंकि साफ हवा से उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही, वातावरण स्वच्छ होने से लोगों की उत्पादकता में बढ़ोतरी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन
इस प्रोजेक्ट को विस्तृत कार्ययोजना के अनुसार लागू किया जाएगा, जिसमें वायु गुणवत्ता की नियमित निगरानी, स्वच्छ उत्पादन प्रक्रियाओं का पालन और जागरूकता कार्यक्रम शामिल होंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन) मनोज सिंह ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की मंजूरी राज्य कैबिनेट से मिलने के बाद अब इसे केंद्रीय सरकार के पास भेजा जाएगा।

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