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साल 2024: जलवायु परिवर्तन की चुनौती, मॉनसून ने बदल डाले पुराने पैटर्न, विनाशकारी आपदाओं का खतरा बढ़ा

by reporter
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साल 2024 में भारत के मौसम में इतने अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिले, जो पहले दशकों में एक बार होते थे। इस साल मॉनसून ने पूरे देश में बेतरतीब बारिश के ऐसे पैटर्न दिखाए हैं, जो पिछले पांच सालों में कभी नहीं देखे गए थे।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) की रिपोर्ट और वैज्ञानिकों के विश्लेषण ने दिखाया कि जलवायु परिवर्तन अब भारत के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है, और यह आने वाले समय में देश की कृषि, जल आपूर्ति और आम जनजीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

729 जिलों में अलग-अलग बारिश का पैटर्न, विनाशकारी परिणाम

साल 2024 के मॉनसून की स्टडी में पाया गया कि देश के 729 जिलों में बारिश का पैटर्न पूरी तरह से असामान्य हो गया। इनमें से 340 जिलों में सामान्य बारिश हुई, जबकि 158 जिलों में अधिक बारिश दर्ज की गई। वहीं, 48 जिलों में बेहद ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड बना। इसके विपरीत, 178 जिलों में बारिश की कमी रही और 11 जिलों में तो बेहद ही कम बारिश दर्ज की गई। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि मॉनसून का संतुलन पूरी तरह से बदल गया है, और इसका सीधा असर देश के पर्यावरण और लोगों के जीवन पर पड़ रहा है।

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2024 में विनाशकारी बारिश के रिकॉर्ड, जून और अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश

साल 2024 के मॉनसून ने जून और अगस्त में बारिश के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। जून इस साल का दूसरा सबसे ज्यादा बारिश वाला महीना रहा, जबकि अगस्त में 753 मौसम स्टेशनों ने बेहद अधिक बारिश दर्ज की। सितंबर में भी नया रिकॉर्ड बना, जब 525 स्टेशनों ने सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की। यह बेतरतीब बारिश देश के पर्यावरण को तबाह कर सकती है, और आपदाओं के खतरे को बढ़ा रही है।

क्या है वजह और रास्ता

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग, इंडियन ओशन डाइपोल और अन्य ग्लोबल फैक्टर्स ने भारत के मॉनसून को अस्थिर बना दिया है। जहां पहले मॉनसून एक भरोसेमंद मौसम हुआ करता था, अब इसके पैटर्न में इतनी अनिश्चितता आ गई है कि इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल हो गया है। जून से सितंबर तक चलने वाला मॉनसून अब बेतरतीब तरीके से बारिश करता है—कभी बाढ़ की स्थिति, तो कभी सूखे की मार।

कृषि और जल आपूर्ति पर गहरा असर

जलवायु परिवर्तन के कारण मॉनसून की अनिश्चितता का सीधा असर कृषि और जल आपूर्ति पर पड़ रहा है। पहले किसान जानते थे कि बारिश कब आएगी, लेकिन अब इस अनिश्चित मौसम के कारण उनकी फसलें प्रभावित हो रही हैं। इसके साथ ही, जल स्रोतों की आपूर्ति पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिससे देश में जल संकट की समस्या बढ़ सकती है।

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