Yamuna Water Quality: यमुना नदी, जो कभी हमारे देश की जीवनरेखा और पवित्र नदियों में से एक मानी जाती थी, आज राजनीतिक दांव-पेंच और प्रदूषण के विषैले झाग में डूबी हुई है। वर्तमान में दिल्ली चुनाव का माहौल है, और इसी के साथ राजनीतिक बयानों की बौछार शुरू हो चुकी है। यह चिंता का विषय है कि यमुना का प्रदूषण कम होने के बजाय राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
अरविंद केजरीवाल के आरोप
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में हरियाणा की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। 27 जनवरी 2025 को दिए गए एक बयान में उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने यमुना के पानी में जहर घोल दिया है। उनका दावा है कि यदि यह समय पर नहीं पकड़ा जाता, तो दिल्ली में बड़ी संख्या में लोगों की जान पर बन आती।
आतिशी का पलटवार
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा अपनी हरियाणा सरकार से यमुना में जहरीला पानी छुडवा रही है। इससे दिल्ली के 3 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने के कगार पर हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो दिल्ली के 30% लोगों को पानी नहीं मिलेगा। आतिशी ने इसे हिंदू धर्म के पापों से जोड़ते हुए कहा, “दिल्ली के लोग इस पाप का जवाब 5 फरवरी को देंगे।”
योगी आदित्यनाथ का चैलेंज
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 जनवरी को एक बयान में अरविंद केजरीवाल को चुनौती देते हुए कहा, “हम प्रयागराज के महाकुंभ में डुबकी लगा आए। अब आप अपने मंत्रीमंडल के साथ यमुना में डुबकी लगाने कब जा रहे हैं?” यह बयान राजनीतिक बहस को और तेज कर गया।
अखिलेश यादव का जवाब
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस पर पलटवार करते हुए कहा, “जो दूसरों को डुबकी लगाने की चुनौती देते हैं, वे पहले मथुरा की यमुना के जल का आचमन करके दिखाएं।” उन्होंने यह बयान 24 जनवरी को ट्विटर पर दिया, जिससे यह मुद्दा और गरमा गया।
यमुना की वास्तविक स्थिति
नेताओं की बयानबाजी से परे, यमुना की हालत बेहद दयनीय है। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार:
- बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD): — दिल्ली में यमुना के 8 सैंपलिंग स्टेशनों में से 7 पर BOD का स्तर निर्धारित मानक 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से 18 गुना अधिक पाया गया।
- डिसॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO): — यमुना के पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर 5 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। लेकिन 8 में से 6 स्थानों पर यह शून्य पाया गया। इसका मतलब है कि इन जगहों पर मछलियों और अन्य जलीय जीवों का जीवित रहना असंभव है।
- फीकल कॉलीफॉर्म (FC): — यमुना के पानी में फीकल कॉलीफॉर्म का स्तर 500 प्रति 100 मिलीलीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन असगरपुर में यह 2,50,000 प्रति 100 मिलीलीटर तक पाया गया। यह साफ दिखाता है कि यमुना का पानी नहाने या आचमन करने के लिए पूरी तरह अनुपयुक्त है।
क्या कहते हैं पुराने वादे?
2021 में अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि फरवरी 2025 तक यमुना को इतना साफ कर देंगे कि इसमें डुबकी लगाई जा सके। वहीं, 2015 में मनीष सिसोदिया ने कहा था कि यमुना इतनी साफ होगी कि लोग इसके किनारे पिकनिक मना सकें। लेकिन वास्तविकता यह है कि यमुना का हाल और भी खराब हो चुका है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप बनाम वास्तविक समाधान
यमुना की सफाई पर राजनीति तो हो रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार के प्रयास न के बराबर हैं। नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं, लेकिन कोई ठोस योजना या प्रयास नजर नहीं आता।
क्या करें आम लोग?
— जागरूकता फैलाएं: यमुना को बचाने के लिए लोगों को इसके गंभीर हालात की जानकारी दी जानी चाहिए। — सरकार पर दबाव बनाएं: नेताओं से जवाबदेही मांगें और यह सुनिश्चित करें कि वादे केवल चुनावी भाषण न बनकर रह जाएं। — स्वयं योगदान दें: यमुना में गंदगी और कचरा फेंकने से बचें और दूसरों को भी प्रेरित करें।