भारत की नदियां देश की अर्थव्यवस्था और खाद्य प्रणाली की जीवनरेखा हैं। इनमें से कई नदियां पवित्र मानी जाती हैं। यमुना नदी, जो भारत के करोड़ों लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, दिल्ली के आसपास गंदगी और झाग से भरी हुई है। इस झाग का कारण कपड़े धोने और घरों से निकलने वाले डिटर्जेंट हैं, जो बिना शोधन के नदी में बहा दिए जाते हैं। इसके अलावा, कच्चा सीवेज (गंदा पानी) भी यमुना को प्रदूषित कर रहा है, जिससे बैक्टीरिया की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।
हालांकि सरकार स्वास्थ्य खतरों को लेकर चेतावनी देती है, फिर भी कुछ हिंदू भक्त यमुना में स्नान करते हैं, यह मानते हुए कि इससे उनके पाप धुल जाएंगे। पानी प्रदूषण पर काम करने वाली सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की वरिष्ठ प्रोग्राम मैनेजर सुस्मिता सेनगुप्ता ने लिविंग ऑन अर्थ से बातचीत में यमुना के प्रदूषण के कारण और इसके समाधान पर चर्चा की।
यमुना नदी का परिचय
जेन डोयरिंग: सुस्मिता, यमुना नदी क्या है और यह कहां बहती है?
सुस्मिता सेनगुप्ता: यमुना नदी दिल्ली के बीच से बहती है। यह दिल्ली के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां का अधिकांश पीने का पानी यमुना से आता है। यमुना भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा की सहायक नदी है और यह उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों को भी पानी देती है। हालांकि, यमुना का केवल एक छोटा हिस्सा दिल्ली से गुजरता है, लेकिन इसके 80% प्रदूषित हिस्से दिल्ली में ही हैं।
यमुना में झाग का कारण
जेन डोयरिंग: दिल्ली के आसपास यमुना नदी में झाग क्यों बनता है?
सुस्मिता सेनगुप्ता: दिल्ली में केवल 50% सीवेज का ही शोधन किया जाता है। बाकी 50% सीवेज खुली नालियों में बहा दिया जाता है, जो बारिश का पानी ले जाने के लिए बनी थीं। ये नालियां अब सीवेज का पानी भी लेकर यमुना में पहुंचा देती हैं।
इसके अलावा, कपड़े धोने में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट और घरों से निकलने वाले फॉस्फेट यमुना में झाग का कारण बनते हैं।
खेती और रासायनिक प्रदूषण
जेन डोयरिंग: क्या यमुना के आसपास खेती से भी नदी प्रदूषित हो रही है?
सुस्मिता सेनगुप्ता: यमुना के बाढ़ क्षेत्र में खेती बड़े पैमाने पर होती है। हालांकि, जैविक खाद के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन अभी भी कई किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं। इससे नदी में नाइट्रेट्स और अन्य रसायन पहुंचते हैं, जो प्रदूषण को बढ़ाते हैं।
प्रदूषण का असर
जेन डोयरिंग: यमुना के प्रदूषण से इसके पर्यावरण और लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
सुस्मिता सेनगुप्ता: दिल्ली में यमुना का प्रदूषण बहुत ज्यादा है। यमुना से ही दिल्ली की पूरी जल आपूर्ति होती है। जब नदी में कच्चा सीवेज मिलता है, तो पानी को पीने लायक बनाने की लागत बहुत बढ़ जाती है।
सीवेज में मौजूद फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा बेहद खतरनाक स्तर पर है। जहां इसका मानक स्तर 2500 MPN प्रति 100 मिलीलीटर होना चाहिए, वहीं दिल्ली में यह लाखों तक पहुंच जाता है।
नदी का सांस्कृतिक महत्व और स्वास्थ्य खतरे
जेन डोयरिंग: यमुना के पवित्र माने जाने का क्या कारण है, और प्रदूषण से क्या स्वास्थ्य जोखिम हैं?
सुस्मिता सेनगुप्ता: भारत में नदियों को मां के रूप में पूजा जाता है। प्राचीन समय से लोग इन्हें जीवन का स्रोत मानते आए हैं। इसलिए स्नान करना पाप धोने का प्रतीक माना जाता है। लेकिन वर्तमान में यमुना का पानी स्नान के लिए भी सुरक्षित नहीं है।
प्रदूषण के कारण लोगों को त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यदि स्नान के दौरान पानी शरीर के अंदर चला जाए, तो आंतों की बीमारियां हो सकती हैं। पानी में फॉस्फेट, नाइट्रेट और फीकल कोलीफॉर्म जैसे हानिकारक तत्व मौजूद हैं।
समाधान की दिशा में कदम
यमुना का प्रदूषण दिल्ली की बड़ी समस्या है। इसे नियंत्रित करने के लिए बेहतर सीवेज सिस्टम, रासायनिक खाद का कम उपयोग, और नदी में कचरा डालने पर रोक लगानी होगी। साथ ही, सरकार और लोगों को मिलकर यमुना को स्वच्छ बनाने के प्रयास करने चाहिए ताकि यह नदी फिर से जीवनदायिनी बन सके।