इंडोनेशिया के बर्ड्स हेड सीस्केप क्षेत्र में हुए एक हालिया अध्ययन ने चौंकाने वाला खुलासा किया है: यहां 62% व्हेल शार्क के शरीर पर चोट या घाव के निशान पाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश मानवजनित कारणों जैसे बगान्स (पारंपरिक मछली पकड़ने वाले प्लेटफॉर्म) और पर्यटन नौकाओं से टकराव के कारण हैं।
व्हेल शार्क, जो दुनिया की सबसे बड़ी मछली और शांत स्वभाव के लिए जानी जाती है, अब संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने इसे लुप्तप्राय घोषित किया है, क्योंकि पिछले 75 वर्षों में इनकी वैश्विक आबादी 50% से अधिक और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 63% तक घट चुकी है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
2010 से 2023 तक चले अध्ययन में इंडोनेशिया के सेंडरावासी बे, काइमाना, राजा आम्पट और फाकफाक क्षेत्रों में 268 व्हेल शार्क की पहचान की गई। इनकी पहचान उनके शरीर पर मौजूद अनोखे सफेद धब्बों और धारियों के पैटर्न से की गई।
निष्कर्षों के अनुसार:
- 98% शार्क सेंडरावासी बे और काइमाना में देखी गईं।
- 90% नर और ज्यादातर चार से पांच मीटर लंबी किशोर शार्क थीं।
- 206 शार्क (लगभग 62%) घायल थीं, जिनमें 80.6% चोटें मानवजनित थीं, जैसे बगान्स के जालों या नावों के प्रोपेलर से घर्षण।
- 58.3% चोटें प्राकृतिक कारणों से थीं, लेकिन गंभीर चोटें (जैसे कटाव या अंग कटना) 17.7% मामलों में थीं।
बगान्स और पर्यटन नौकाएं: खतरे का कारण
बगान्स लकड़ी के बने प्लेटफॉर्म हैं, जिनसे मछलियां पकड़ने के लिए जाल डाले जाते हैं। व्हेल शार्क इनके नीचे छोटी मछलियों (एंकोवी, हेरिंग, स्प्रैट्स) के लिए जमा होती हैं।
जालों से मछलियां चूसने की कोशिश में उनके शरीर पर घर्षण से चोटें लगती हैं। इसी तरह, पर्यटन नौकाएं शार्क के बहुत करीब आने पर प्रोपेलर या पतवार से चोट पहुंचाती हैं।
मादा और वयस्क शार्क की अनुपस्थिति
अध्ययन में ज्यादातर किशोर नर शार्क देखे गए, जबकि मादा और वयस्क शार्क गायब थीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि मादा और वयस्क शार्क गहरे समुद्रों में रहती हैं, जहां वे क्रिल और झुंड में तैरने वाली मछलियां खाती हैं, जबकि युवा नर तटीय क्षेत्रों में रहते हैं।
