environmentalstory

Home » विश्व मधुमक्खी दिवस 2025: “प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खियां, हमारी खाद्य सुरक्षा की रीढ़”

विश्व मधुमक्खी दिवस 2025: “प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खियां, हमारी खाद्य सुरक्षा की रीढ़”

by kishanchaubey
0 comment

हर साल 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है, जो मधुमक्खियों और अन्य परागणकों की हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। इस साल का विषय, “प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खियां हम सभी का पोषण करती हैं,” संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा निर्धारित किया गया है, जो खाद्य सुरक्षा, पोषण और जैव विविधता में परागणकों की अनूठी भूमिका पर केंद्रित है।

एफएओ के अनुसार, परागणकर्ता दुनिया की 75% से अधिक खाद्य फसलों के प्रजनन के लिए जिम्मेदार हैं, जिनमें फल, सब्जियां और मेवे जैसे रोजमर्रा के खाद्य पदार्थ शामिल हैं। ये छोटे जीव कृषि उत्पादकता में अरबों डॉलर का योगदान करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, विश्व की 90% जंगली फूलदार पौधों की प्रजातियां और 35% कृषि भूमि परागणकों पर निर्भर है। ये न केवल खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं, बल्कि जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण हैं।

मधुमक्खियां पर्यावरणीय स्वास्थ्य के संकेतक के रूप में भी कार्य करती हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु की स्थिति को दर्शाती हैं। उनकी सुरक्षा से मिट्टी की उर्वरता, कीट नियंत्रण और वायु-जल विनियमन जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में वृद्धि होती है।

banner

कृषि-पारिस्थितिकी, कृषि-वानिकी और एकीकृत कीट प्रबंधन जैसी प्रकृति-अनुकूल पद्धतियां परागणकों को बनाए रखने, फसल पैदावार को स्थिर करने और पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में सहायक हैं।

हालांकि, मधुमक्खियां और अन्य परागणकर्ता गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं। वर्तमान में प्रजातियों के विलुप्त होने की दर सामान्य से 100 से 1,000 गुना अधिक है। लगभग 35% अकशेरुकी परागणकर्ता, जैसे मधुमक्खियां और तितलियां, और 17% कशेरुकी परागणकर्ता, जैसे चमगादड़, विलुप्त होने के कगार पर हैं।

यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो पौष्टिक फसलें जैसे फल, मेवे और सब्जियां मुख्य फसलों जैसे चावल, मक्का और आलू से प्रतिस्थापित हो सकती हैं, जिससे आहार असंतुलन बढ़ेगा।

गहन कृषि, भूमि-उपयोग में बदलाव, एकल-फसल, कीटनाशक और जलवायु परिवर्तन से जुड़े उच्च तापमान मधुमक्खी आबादी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसका असर खाद्य गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है। विश्व मधुमक्खी दिवस सरकारों, संगठनों और नागरिकों के लिए एक अवसर है कि वे परागणकों और उनके आवासों की रक्षा के लिए कदम उठाएं, उनकी विविधता और बहुतायत में सुधार करें, और मधुमक्खी पालन के सतत विकास को बढ़ावा दें।

यह दिन हमें याद दिलाता है कि मधुमक्खियों की सुरक्षा केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए एक अनिवार्य कदम है।

You may also like