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विश्व बांस दिवस 2025: बांस – प्रकृति का हरित स्वर्ण और पर्यावरण का रक्षक

by kishanchaubey
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World Bamboo Day 2025: हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बांस के पर्यावरणीय, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करना है। बांस, जिसे “ग्रीन गोल्ड” कहा जाता है,

दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जो 24 घंटे में लगभग 90 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है। यह न केवल मजबूत, लचीला और टिकाऊ है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी वरदान है।

2025 की थीम: अगली पीढ़ी का बांस – समाधान, नवाचार और डिजाइन

इस साल की थीम “अगली पीढ़ी का बांस: समाधान, नवाचार और डिजाइन” जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और संसाधन संकट जैसी वैश्विक चुनौतियों के समाधान के रूप में बांस की भूमिका पर जोर देती है। यह थीम बांस के नवाचारी उपयोग और डिजाइन को प्रोत्साहित करती है।

इतिहास: विश्व बांस दिवस की शुरुआत

विश्व बांस दिवस की शुरुआत 2009 में थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित वर्ल्ड बांस कांग्रेस में थाई रॉयल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा की गई थी। पिछले 30 वर्षों से वर्ल्ड बांस ऑर्गनाइजेशन बांस के महत्व को बढ़ावा देने और इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने में सक्रिय है।

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भारत, चीन और जापान जैसे देशों में बांस लंबे समय से भोजन, निर्माण और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है।

बांस की खासियत: पर्यावरण का रक्षक

बांस लकड़ी की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है और अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है। यह वनों की कटाई को रोकने और पुनर्वनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बांस का उपयोग पानी और मिट्टी के संरक्षण में भी मदद करता है। इसके बायोडिग्रेडेबल उत्पाद, जैसे टूथब्रश, स्ट्रॉ, कपड़े और सजावटी सामान, प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में सहायक हैं।

सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व

बांस का उपयोग कई देशों में पारंपरिक वाद्ययंत्रों, जैसे जापान का शकुहाची फ्लूट और इंडोनेशिया का अंगक्लुंग, बनाने में होता है। भारत में समुदाय बांस रोपण अभियान चलाते हैं, जबकि फिलीपींस में शिल्पकार बांस के हस्तशिल्प प्रदर्शित करते हैं। घाना में बांस को सतत विकास के साधन के रूप में प्रचारित किया जाता है।

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