उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) में जंगली जानवरों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप और ड्रोन तकनीक महिलाओं की निजता और अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में किया गया है।
अध्ययन, जिसका शीर्षक है ‘Gendered Forests: Digital Surveillance Technologies for Conservation and Gender-environment Relationships’, में महिलाओं की निजता उल्लंघन के कई मामलों को उजागर किया गया है।
महिलाओं की निजता पर प्रभाव
1. कैमरा ट्रैप से निजता का उल्लंघन
- एक मामले में, एक मस्तिष्क विकलांग और वंचित वर्ग की महिला की अर्ध-नग्न तस्वीर कैमरा ट्रैप से अनजाने में खींची गई।
- यह तस्वीर स्थानीय सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई, जिससे महिलाओं के गांव में गुस्सा फैल गया।
- इसके विरोध में, ग्रामीणों ने जंगल में लगे कैमरा ट्रैप तोड़ दिए और वन कर्मियों के स्टेशन को जलाने की धमकी दी।
2. महिलाओं की पारंपरिक गतिविधियों पर रोक
- महिलाओं ने कहा कि कैमरा ट्रैप उन्हें जलाऊ लकड़ी, घास और अन्य वन उत्पाद इकट्ठा करने से रोकते हैं, जो उनके जीवनयापन के लिए जरूरी हैं।
- पारंपरिक गीत गाने और ऊंची आवाज में बात करने जैसी आदतें भी कम हो गई हैं, जो न केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं बल्कि जंगली जानवरों के हमलों से बचने के लिए भी आवश्यक हैं।
3. सहमति का अभाव
- कैमरा ट्रैप लगाने से पहले स्थानीय समुदायों की सहमति नहीं ली गई, जो एक गंभीर मुद्दा है।
कैमरा ट्रैप का महिलाओं पर सकारात्मक उपयोग
अध्ययन ने यह भी दिखाया कि इन निगरानी तकनीकों का उपयोग महिलाओं ने उत्पीड़न के खिलाफ हथियार के रूप में किया:
- एक महिला ने अपने शराबी और हिंसक पति के खिलाफ सबूत जुटाने के लिए कैमरा ट्रैप का इस्तेमाल किया।
- जब भी पति हिंसक होता, वह कैमरा ट्रैप के पास जाती और सुरक्षा पाती।
हालांकि, ऐसे उदाहरण कम हैं और निगरानी तकनीक का दुरुपयोग ज्यादा हुआ है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव संरक्षक, रंजन मिश्रा ने कहा कि कॉर्बेट के निदेशक को इस मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “जांच पूरी होने के बाद ही हम इस पर कोई टिप्पणी करेंगे।”
पर्यावरण और महिलाओं की सुरक्षा पर प्रभाव
1. पर्यावरण पर प्रभाव
- कैमरा ट्रैप जंगली जानवरों की निगरानी में मदद करते हैं और अवैध शिकार रोकने का काम करते हैं।
- लेकिन इन्हें जिम्मेदारी और नैतिकता के साथ इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।
2. महिलाओं की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
- निगरानी तकनीक ने महिलाओं के सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
- पारंपरिक गतिविधियों और स्वच्छंदता में कमी से महिलाओं के सांस्कृतिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
आगे की राह
- निजता संरक्षण कानून: निगरानी तकनीकों के इस्तेमाल से पहले स्थानीय समुदायों की सहमति जरूरी हो।
- जवाबदेही तय करना: कैमरा ट्रैप के दुरुपयोग के मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई की जाए।
- सामाजिक जागरूकता: तकनीक का सही और नैतिक उपयोग सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
- महिलाओं की भागीदारी: वन प्रबंधन और निगरानी योजनाओं में महिलाओं को शामिल किया जाए।
यह अध्ययन हमें दिखाता है कि संरक्षण और तकनीक का इस्तेमाल किस तरह समुदायों के अधिकारों और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए किया जा सकता है।