हर में बढ़ रही एलर्जी और सांस संबंधी रोगों के मरीज, अस्पतालों में लंबी कतारें
Bhopal : मानसून की विदाई के साथ ही शहर की सड़कों पर धूल उड़ने लगी है। एक महीने पहले जहाँ एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सिर्फ 38 था, वहीं 9 अक्टूबर को यह सीधे 138 तक पहुँच गया है। शहर की खस्ताहाल सड़कों से उड़ती धूल ने हवा की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसके परिणामस्वरूप अस्पतालों में सर्दी, खांसी, अस्थमा और आंखों में जलन के मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश के दौरान सड़कों पर जमी धूल जमीन में बैठ जाती है, जिससे हवा की गुणवत्ता बेहतर रहती है। लेकिन बारिश थमने के बाद सड़कों की धूल ने वातावरण को फिर से प्रदूषित कर दिया है। इसके चलते बच्चों और बुजुर्गों में सर्दी-जुकाम और सांस से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
प्रदूषण की खतरनाक स्थिति, बढ़ी मरीजों की संख्या
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, मानसून के दिनों में शहर की हवा की गुणवत्ता बेहतर थी, लेकिन बारिश खत्म होते ही सड़कों से उड़ती धूल ने हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ा दी है। PM 2.5 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। सड़कों पर उड़ती धूल और निर्माण कार्यों से PM10 की मात्रा भी बढ़ी है, जिससे सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की समस्याएं सामने आ रही हैं।
अस्पतालों में रोजाना 30 से 35 मरीज सांस और एलर्जी से जुड़ी शिकायतों के साथ आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम और धूल की वजह से सांस की समस्याएं और एलर्जी बढ़ी हैं। विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि वे घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें और धूल भरी जगहों से बचें।
विशेषज्ञों की सलाह: एलर्जी के लक्षणों को न करें नज़रअंदाज
डॉक्टरों के अनुसार, धूल के कारण एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। एलर्जिक राइनाइटिस और अस्थमा के लक्षण एक साथ भी हो सकते हैं। नाक बहना, बंद होना, खांसी, छींक आना, आंखों में खुजली, लालिमा और पानी आना इसके मुख्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के दिखते ही तुरंत इलाज करवाना जरूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि धूल और बदलते मौसम से बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। यदि आप सांस या एलर्जी से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।