Winter 2025: भारत में साल 2025 की सर्दियों के पहले दो महीने, जनवरी और फरवरी, बेहद शुष्क रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, 89% जिलों में बारिश या तो सामान्य से काफी कम हुई है, बहुत कम हुई है, या बिल्कुल भी नहीं हुई। यह स्थिति रबी फसलों और जल स्रोतों के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रही है।
पश्चिमी विक्षोभ और बारिश की कमी
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल जनवरी में सामान्य से अधिक संख्या में पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) आए, लेकिन उनमें पर्याप्त नमी नहीं थी, जिससे बारिश कम हुई। 10 फरवरी तक पूरे देश में वर्षा में 71% की कमी दर्ज की गई। यह 1901 के बाद से पांचवीं सबसे कम और 2001 के बाद से तीसरी सबसे कम बारिश रही।
देशभर में बारिश की स्थिति
- 51% जिलों में बिल्कुल बारिश नहीं हुई।
- 31% जिलों में 60% से 99% तक कमी रही।
- 7% जिलों में 21% से 59% तक कमी देखी गई।
- तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा और मिजोरम में एक भी बूंद बारिश नहीं गिरी।
- महाराष्ट्र के 36 में से 35 जिलों में कोई बारिश नहीं हुई, जबकि 1 जिले में बहुत कम वर्षा हुई।
- गुजरात और बिहार जैसे प्रमुख रबी फसल उत्पादक राज्यों में हालात बेहद खराब हैं।
- बिहार के 38 में से 32 जिलों में बिल्कुल बारिश नहीं हुई।
- उत्तर प्रदेश के 75 में से 21 जिलों में बारिश नहीं हुई, जबकि 44 जिलों में बहुत कम वर्षा दर्ज की गई।
- मध्य प्रदेश के 52 में से 50 जिलों में भी बारिश नहीं हुई या बहुत कम हुई।
हिमालयी राज्यों में भी सूखा पड़ा
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में भी शुष्क सर्दी रही। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के सभी जिलों में 60% से 99% तक वर्षा की भारी कमी देखी गई। हिमाचल प्रदेश के 12 में से 11 जिलों में बहुत कम बारिश हुई।
राजस्थान में स्थिति थोड़ी बेहतर
राजस्थान में अन्य रबी उत्पादक राज्यों की तुलना में थोड़ी बेहतर बारिश दर्ज की गई।
- 8 जिलों में कोई बारिश नहीं हुई।
- 8 जिलों में बहुत कम बारिश हुई।
- 4 जिलों में सामान्य से 60% अधिक बारिश दर्ज की गई।
- 2 जिलों में 21% से 59% अधिक बारिश हुई।
- 6 जिलों में सामान्य बारिश दर्ज की गई।
दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मानसून का असर
भारत में सर्दियों के मौसम में बारिश का बड़ा स्रोत उत्तर-पूर्वी मानसून (Northeast Monsoon) होता है, जो तमिलनाडु और कुछ अन्य दक्षिणी राज्यों में बारिश लाता है।
- तमिलनाडु और रायलसीमा में अच्छी बारिश हुई।
- केरल और दक्षिणी कर्नाटक में बारिश सामान्य से कम रही।
- तटीय आंध्र प्रदेश में बहुत कम बारिश दर्ज की गई।
पश्चिमी विक्षोभ का कमजोर असर
भारत में सर्दियों की बारिश का एक प्रमुख स्रोत पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) होता है। ये तूफान भूमध्य सागर से नमी लेकर ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुंचते हैं। जनवरी में कुल 7 पश्चिमी विक्षोभ आए, जबकि औसतन 5-6 आते हैं।
- 16-23 जनवरी के बीच 4 पश्चिमी विक्षोभ लगातार सक्रिय रहे, लेकिन इनमें पर्याप्त नमी नहीं थी।
- 9-13 जनवरी का पश्चिमी विक्षोभ ही एकमात्र सक्रिय विक्षोभ था, जिसने दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में कुछ वर्षा कराई।
क्या है भविष्य की संभावना?
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले महीनों में बारिश की कमी से फसलों, जल आपूर्ति और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
- रबी फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती है, जिससे खाद्यान्न संकट बढ़ सकता है।
- भूजल स्तर नीचे जा सकता है, जिससे पीने के पानी की समस्या बढ़ सकती है।
- हीट वेव (लू) का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि नमी की कमी से तापमान में असामान्य वृद्धि हो सकती है।