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टीबी: दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी और इसे खत्म करने की कोशिशें

by kishanchaubey
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तपेदिक (टीबी) एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है।

टीबी हवा के जरिए फैलती है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या थूकता है, तो हवा में बैक्टीरिया फैल जाते हैं, जिससे अन्य लोग संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, टीबी को सही इलाज से रोका और ठीक किया जा सकता है।

टीबी के लक्षण

टीबी के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और महीनों तक हल्के रह सकते हैं। इससे लोग बिना जाने इसे दूसरों तक फैला सकते हैं। कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  • लगातार तीन हफ्ते या उससे अधिक समय तक खांसी रहना
  • खांसी में खून आना
  • सीने में दर्द
  • अचानक वजन घटना
  • रात को पसीना आना
  • कमजोरी और थकान महसूस होना
  • भूख न लगना

दुनिया में टीबी की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार:

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  • हर साल लगभग 1 करोड़ लोग टीबी से संक्रमित होते हैं।
  • 2023 में 12.5 लाख लोगों की मौत टीबी से हुई, जिसमें एचआईवी से ग्रसित 1.61 लाख लोग भी शामिल थे।
  • 60 लाख पुरुष, 36 लाख महिलाएं और 13 लाख बच्चे 2023 में टीबी से प्रभावित हुए।
  • मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि इसके मरीजों में से सिर्फ 40% लोगों को ही सही उपचार मिल पाता है।

विश्व टीबी दिवस 2025 की थीम

हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2025 की थीम है: “हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्ध हों, निवेश करें, परिणाम दें” इसका उद्देश्य टीबी के उन्मूलन के लिए सरकारों, स्वास्थ्य संगठनों और आम जनता को जागरूक करना और ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है।

टीबी का इतिहास और खोज

टीबी हजारों सालों से इंसानों को प्रभावित कर रही है।

  • 24 मार्च 1882 को, डॉ. रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया की खोज की, जिसके कारण टीबी होती है।
  • इस खोज की याद में हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।
  • 1700-1800 के दशक में इसे “श्वेत प्लेग” भी कहा जाता था क्योंकि यह संक्रमित व्यक्ति को कमजोर और पीला बना देता था।

भारत में टीबी की स्थिति और उन्मूलन के प्रयास

भारत दुनिया में टीबी के सबसे अधिक मामलों वाला देश है।

  • भारत में टीबी के 30% मामले और 62% मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) के केस हैं।
  • सरकार ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) चलाया है, जिसका लक्ष्य 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाना है।
  • 2015 में टीबी की दर 237 प्रति 1,00,000 थी, जो 2023 में घटकर 195 प्रति 1,00,000 हो गई।
  • 2015 के मुकाबले 2023 में टीबी से होने वाली मौतों में 21.4% की कमी आई है।

टीबी रोकने और इलाज के लिए सुझाव

  • टीकाकरण: बीसीजी (BCG) वैक्सीन बच्चों को टीबी से बचाने में मदद करती है।
  • जल्दी जांच: अगर लगातार खांसी, वजन घटने या रात में पसीना आने के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।
  • संक्रमण से बचाव: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें और खांसते या छींकते समय मुंह ढकें।
  • पौष्टिक आहार: अच्छा खान-पान और मजबूत इम्यूनिटी टीबी से बचाव में मदद करती है।
  • पूरा इलाज करें: टीबी के मरीजों को डॉक्टर द्वारा दी गई पूरी दवा को कोर्स पूरा करना चाहिए, वरना बैक्टीरिया और ज्यादा मजबूत हो सकता है।

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