environmentalstory

Home » WEF Report: 2025-2027 के बीच जल संकट बना भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा

WEF Report: 2025-2027 के बीच जल संकट बना भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा

by kishanchaubey
0 comment

WEF Report: 2025-2027 के बीच जल संकट बना भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा भारत आने वाले वर्षों में जल संकट के गंभीर खतरे का सामना कर सकता है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) की “ग्लोबल रिस्क्स रिपोर्ट 2025” में चेतावनी दी गई है कि 2025 से 2027 के बीच भारत में जल संकट सबसे गंभीर और तात्कालिक जोखिम होगा। रिपोर्ट 15 जनवरी 2025 को जारी की गई।

पानी की कमी: वैश्विक संकट का हिस्सा

डब्ल्यूईएफ ने भारत के साथ मैक्सिको, मोरक्को, ट्यूनीशिया और उज्बेकिस्तान को उन पाँच देशों में शामिल किया है, जहाँ जल संकट को शीर्ष जोखिम के रूप में चिन्हित किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि पानी की कमी का असर न केवल इंसानों की जरूरतों पर पड़ता है, बल्कि उद्योग और पर्यावरण भी इससे प्रभावित होते हैं।

पानी की यह समस्या जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग, अव्यवस्थित प्रबंधन और कमजोर बुनियादी ढाँचे की वजह से बढ़ रही है।

जल संकट: बढ़ती वैश्विक चुनौती

2024 में केवल 7 देशों ने पानी की कमी को शीर्ष 5 खतरों में गिना था, जबकि 2025 में यह संख्या बढ़कर 27 हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरक्को और ट्यूनीशिया जैसे देशों में जल संकट 2024 में तीसरे स्थान से बढ़कर 2025 में सबसे बड़ा खतरा बन गया।

banner

भारत के सामने अन्य प्रमुख खतरे

रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट के अलावा भारत को 2025-2027 के बीच अन्य चार प्रमुख जोखिमों का भी सामना करना होगा:

  1. गलत सूचना और दुष्प्रचार (Misinformation and Disinformation):
    सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलने वाली गलत जानकारी सामाजिक और राजनीतिक समस्याएँ बढ़ा सकती है।
  2. मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं का ह्रास:
    नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंधों को एक गंभीर चुनौती के रूप में देखा गया है।
  3. प्रदूषण:
    वायु, जल और मृदा प्रदूषण भारत के पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है।
  4. श्रम और प्रतिभा की कमी:
    कुशल श्रमिकों और विशेषज्ञों की कमी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

प्रदूषण का बढ़ता प्रभाव

प्रदूषण, विशेष रूप से वायु प्रदूषण, भारत में स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण वैश्विक औसत आयु 3.6 साल कम हो रही है।

डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट में बताया गया कि 2024 में केवल 6 देशों ने प्रदूषण को शीर्ष जोखिम में गिना था, लेकिन 2025 में यह संख्या बढ़कर 13 हो गई।

चरम मौसम घटनाएँ और जलवायु परिवर्तन

ग्लोबल स्तर पर, चरम मौसम की घटनाएँ अगले दो वर्षों में दूसरा सबसे बड़ा खतरा बनेंगी।

  • 2024 में, भारत में 93% दिनों में चरम मौसम की घटनाएँ दर्ज की गईं।
  • इन घटनाओं के कारण 2024 में 3,238 लोगों की मौत हुई, जो 2022 की तुलना में 18% अधिक थी।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले वर्षों में ऐसी घटनाओं की तीव्रता और बढ़ने की संभावना है।

जल संकट से निपटने के सुझाव

डब्ल्यूईएफ रिपोर्ट ने जल संकट से निपटने के लिए कई सुझाव दिए हैं:

  1. सतत जल प्रबंधन:
    • पानी के कुशल उपयोग के लिए तकनीकी और बुनियादी ढाँचे का विकास।
    • वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण को बढ़ावा।
  2. नीतिगत सुधार:
    • जल संरक्षण के लिए सख्त कानूनों का निर्माण।
    • कृषि में सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनाने पर जोर।
  3. सामाजिक जागरूकता:
    • पानी बचाने के लिए जनजागरूकता अभियान।
    • सामुदायिक स्तर पर जल प्रबंधन योजनाएँ।

You may also like