मदुरै: सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट ने मदुरै, थेनी, डिंडीगुल, शिवगंगा और रामनाथपुरम जिलों के स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि वे वैगई नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए एक समयबद्ध कार्ययोजना (Action Plan) तैयार करें और अदालत में जमा करें।
नदी की निगरानी के आदेश
जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन और जस्टिस बी. पुगलेंधी की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT), नई दिल्ली के आदेशों को लागू करने के लिए एक पर्यावरण निगरानी सेल (Environment Monitoring Cell) का गठन किया है। इस सेल का नेतृत्व पर्यावरण और वन विभाग के सचिव कर रहे हैं।
हालांकि, अदालत ने यह भी पाया कि वैगई नदी को इस निगरानी सेल द्वारा देखी जाने वाली नदियों की सूची में शामिल नहीं किया गया था। इस पर जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता, मदुरै ने एक प्रस्ताव भेजकर वैगई नदी को निगरानी सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी।
इस पर, अदालत ने पर्यावरण और वन विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वे वैगई नदी को निगरानी सेल की सूची में शामिल करें ताकि इसके प्रदूषण को रोका जा सके।
प्रदूषण का मुद्दा और अदालत की पहल
अदालत ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान (Suo Motu) लिया था, जो “टाइम्स ऑफ इंडिया” की एक रिपोर्ट पर आधारित था। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि मदुरै, थेनी, डिंडीगुल, शिवगंगा और रामनाथपुरम जिलों में वैगई नदी में बड़े पैमाने पर सीवेज का निर्वहन किया जा रहा है। इसके अलावा, कई याचिकाएं भी अदालत में दाखिल की गई थीं, जिनमें नदी के प्रदूषण को रोकने की मांग की गई थी।
वैगई नदी की वर्तमान स्थिति
वैगई नदी दक्षिण भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है, जो इन जिलों की कृषि और पेयजल जरूरतों को पूरा करती है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण और अव्यवस्थित सीवेज प्रबंधन के कारण नदी का जल खतरनाक रूप से दूषित हो गया है। नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरे के निर्वहन से इसका पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ गया है।
अदालत की सख्ती से उम्मीदें
मद्रास हाईकोर्ट के इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि स्थानीय प्रशासन अब तेजी से काम करेगा और वैगई नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठाएगा। यह कार्य योजना सुनिश्चित करेगी कि नदी में अवैध कचरे का निर्वहन रोका जाए और इसके पानी की गुणवत्ता को बेहतर किया जाए।
क्या है आगे की चुनौती?
- प्रदूषण के स्रोतों की पहचान: यह देखना होगा कि नदी में कचरा और सीवेज किन-किन स्थानों से आ रहा है।
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट: नदी में गंदगी जाने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की आवश्यकता है।
- जनजागरूकता: स्थानीय लोगों को यह समझाना होगा कि वे नदी में कचरा न डालें।
- कानूनी कार्रवाई: नदी को प्रदूषित करने वाले व्यक्तियों और संस्थानों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।