उत्तर प्रदेश (UP) में विकास और समृद्धि की दिशा में कृषि और खेती एक अहम भूमिका निभा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता दे रही है, जो राज्य की 68 प्रतिशत आबादी का जीवनयापन का मुख्य साधन है।
छोटे किसानों का बड़ा योगदान
उत्तर प्रदेश में खेती छोटे और सीमांत किसानों के प्रभुत्व वाला क्षेत्र है। राज्य के लगभग 93 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत हैं, जिनके पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है। इस वर्ग में करीब 2.15 करोड़ किसान परिवार आते हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था (GSDP) में इन किसानों का योगदान बढ़ाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है।
खेती में बढ़ोतरी के आंकड़े
- गेहूं उत्पादन: 2012-13 में 31.5 मिलियन टन से बढ़कर 2018-19 में 38.1 मिलियन टन।
- अनाज उत्पादन: 5.23 प्रतिशत की वृद्धि।
- दलहन उत्पादन: 9.09 प्रतिशत की वृद्धि।
- तेलहन उत्पादन: 14.71 प्रतिशत की वृद्धि।
बुंदेलखंड में कृषि का पुनरुत्थान
राज्य के पिछड़े क्षेत्रों, जैसे बुंदेलखंड, में कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
- 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रमाणित बीजों पर।
- मिनी किट्स मुफ्त वितरण चुनिंदा बाजरा और कपास के लिए।
- 50 प्रतिशत सब्सिडी वर्षा जल संचयन के लिए तालाब बनाने पर।
कृषि के लिए बजट और परियोजनाएं
- बढ़ा बजट: 2016-17 में ₹1,517 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में ₹2,100 करोड़।
- विश्व बैंक द्वारा ₹4,000 करोड़ की परियोजना: पूर्वी यूपी और बुंदेलखंड के 28 जिलों में किसानों और ग्रामीण महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए।
- उन्नत प्रशिक्षण: 500 किसानों को विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
पर्यावरण और स्वास्थ पर प्रभाव
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण:
जल स्रोतों को बचाने के लिए जल संचयन और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। - केमिकल फर्टिलाइजर पर निर्भरता कम करना:
प्राकृतिक खाद और संसाधनों का उपयोग किसानों की लागत कम कर पर्यावरण को संरक्षित करेगा। - स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव:
जैविक खेती और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किसानों और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य में सुधार लाएगा।
भविष्य की योजनाएं
- कृषि निर्यात को ₹20,000 करोड़ से ₹50,000 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य।
- उच्च गुणवत्ता वाले बीज और आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखकर खेती के तरीकों में सुधार।
- बागवानी, मसाले, और औषधीय पौधों के लिए अलग क्लस्टर और बोर्ड का गठन।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है, “उत्तर प्रदेश के पास 1.88 बिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि है, जो राज्य की कुल भूमि का 76 प्रतिशत है। हमारी उपजाऊ भूमि और जल संसाधन हमें देश का कृषि पावरहाउस बना सकते हैं।”उन्होंने किसानों से नई तकनीक अपनाने और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने का आग्रह किया। सिंचाई और बिजली जैसे पुराने मुद्दों को हल करने के लिए राज्य सरकार ने 1 लाख से अधिक सोलर पंप सेट उपलब्ध कराए हैं।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र में हो रहा यह परिवर्तन किसानों की आय और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण है। खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए राज्य सरकार के प्रयास न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकते हैं।