छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के देवतराई गांव सहित प्रदेश के छह जिलों में ग्राउंड वॉटर में यूरेनियम की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। दुर्ग, राजनांदगांव, कांकेर, बेमेतरा, बालोद और कवर्धा के गांवों में किए गए ताजा रिसर्च में पाया गया कि पानी में यूरेनियम की मात्रा तय सीमा से तीन गुना अधिक हो गई है।
भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी दुर्ग) के रसायनशास्त्र विभाग की रिसर्च के अनुसार, इन जिलों के पानी में यूरेनियम का स्तर 86 से 105 पीपीबी तक पहुंच चुका है, जबकि मानक 30 पीपीबी से अधिक नहीं होना चाहिए। इस प्रदूषित पानी के इस्तेमाल से कैंसर, किडनी फेल होने और हड्डियों में गलावट जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
बीआईटी ने इस समस्या को हल करने के लिए एक प्राकृतिक यूरेनियम रिमूवल तकनीक विकसित की है, जिसमें आंवला के पेड़ की छाल और आयरन का उपयोग किया गया है। इस विधि को डिपार्टमेंट ऑफ एटोमिक एनर्जी (DAE) ने स्वीकृति दे दी है। हालांकि, पेयजल से संबंधित विभागों ने अभी तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिससे क्षेत्र में चिंता बढ़ रही है।