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असम के बोंगाईगांव में गोल्डन लंगूरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए अनूठे कदम

by kishanchaubey
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असम के बोंगाईगांव जिले के काकोइजाना क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के गोल्डन लंगूरों की सबसे अधिक आबादी पाई जाती है। यहां इंसानों और लंगूरों ने सह-अस्तित्व का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। स्थानीय किसानों ने इन लंगूरों की सुरक्षा और भोजन की व्यवस्था के लिए विशेष कदम उठाए हैं।

गोल्डन लंगूरों के लिए बना विशेष बागान

काकोइजाना क्षेत्र के किसानों ने लंगूरों के लिए अपने खेतों में ही विशेष बागान तैयार किए हैं, जहां उनके पसंदीदा पेड़-पौधे उगाए गए हैं। इनमें सहजन, उरही (फलदार बेल) और बांस शामिल हैं।

पहले, जंगल में भोजन की कमी के कारण लंगूर फसलों को नुकसान पहुंचाते थे, लेकिन अब वे इन बागानों से ही भोजन लेकर लौट जाते हैं। स्थानीय किसान भुवेश्वर राभा बताते हैं कि इस पहल से किसानों की फसलें सुरक्षित हो गई हैं और लंगूरों को भी पर्याप्त भोजन मिल रहा है।

हाईवे पर हादसों से बचाने के लिए हैंगिंग ब्रिज

काकोइजाना क्षेत्र से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-117 पर अक्सर लंगूर सड़क पार करने के दौरान वाहनों की चपेट में आकर घायल या मृत हो जाते थे। 2023 और 2024 में औसतन हर महीने एक गोल्डन लंगूर की मौत हाईवे पर गाड़ियों से टकराने से हुई।

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स्थानीय लोगों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और प्रशासन पर दबाव डालकर हाईवे पर लंगूरों के लिए हैंगिंग ब्रिज बनाने की मांग की।

लंगूरों के लिए 4 हैंगिंग ब्रिज बनाए गए

शुरुआत में स्थानीय लोगों ने खुद पहल कर पहला हैंगिंग ब्रिज बनाया, जिससे लंगूर सुरक्षित हाईवे पार करने लगे। इसके बाद प्रशासन ने तीन और ब्रिज बनवाए। अब गोल्डन लंगूर इन हैंगिंग ब्रिजों के जरिए ही सड़क पार करते हैं, जिससे उनकी दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है।

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हैंगिंग ब्रिज

एनएच-117 देश का पहला ऐसा राजमार्ग है, जहां लंगूरों के लिए हैंगिंग ब्रिज बनाए गए हैं। यह देखने के लिए पर्यटक भी यहां पहुंचने लगे हैं, जिससे यह इलाका एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। पर्यावरणविद् हरमोहन राभा बताते हैं कि चौथे हैंगिंग ब्रिज के बनते ही 12 घंटे के अंदर लंगूरों ने इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया।

लंगूरों की सुरक्षा के लिए बिजली के तारों को किया जा रहा सुरक्षित

हाईवे के अलावा, काकोइजाना क्षेत्र में विद्युत तारों से करंट लगने की घटनाएं भी सामने आई हैं।

पर्यावरणविद् व वरिष्ठ पत्रकार धरम रंजन रॉय बताते हैं कि बिजली के खुले तारों की चपेट में आकर लंगूर झुलस जाते थे। इसके लिए स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से तारों को प्लास्टिक कोटेड करने की मांग की। अब बिजली विभाग ने सुरक्षित तारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जिससे लंगूरों को करंट लगने का खतरा कम होगा।

काकोइजाना को अभयारण्य घोषित करने की मांग

काकोइजाना क्षेत्र में करीब 1000 गोल्डन लंगूर रहते हैं, जो देश में पाई जाने वाली कुल 7396 गोल्डन लंगूरों की बड़ी आबादी का हिस्सा हैं।

अब पर्यावरणविदों और स्थानीय संगठनों ने इस क्षेत्र को आधिकारिक रूप से अभयारण्य घोषित करने की मांग उठाई है। इससे न केवल गोल्डन लंगूरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी संरक्षित किया जा सकेगा।

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