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MP हाईकोर्ट में यूनियन कार्बाइड कचरे को वकील ने दिया विदेश भेजने का प्रस्ताव, अब जानें विशेषज्ञ की राय

by kishanchaubey
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MP High Court : 6 जनवरी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच में यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे के निष्पादन पर सुनवाई हुई। एक महिला वकील ने अदालत में “Polluter Pays Principle” का हवाला देते हुए सुझाव दिया कि इस कचरे को अमेरिका या किसी अन्य देश भेजा जाए। लेकिन क्या यह तर्क व्यवहारिक है? आइए इसे वैज्ञानिक, कानूनी और आर्थिक दृष्टिकोण से समझते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: समाधान हमारे पास है

मध्यप्रदेश के पीथमपुर में खतरनाक कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए एक प्रमाणित और आधुनिक स्थल मौजूद है।

  • पीथमपुर स्थित Ramky Industry ने Hazardous and Other Wastes Management Rules, 2016 के तहत सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की देखरेख में इस कचरे के निपटान का सफल परीक्षण किया है।
  • यह स्थल पर्यावरण-अनुकूल तरीके से खतरनाक कचरे के निपटान के लिए पूरी तरह सक्षम है।
    इसलिए, इसे विदेश भेजने की बात करना उन वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करना है, जो भारत में पहले से विकसित और उपलब्ध हैं।

कानूनी दृष्टिकोण: अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन

  • खतरनाक कचरे के ट्रांसपोर्ट पर Basel Convention on Transboundary Movement of Hazardous Wastes लागू होता है।
  • यह संधि खतरनाक कचरे को दूसरे देशों में निर्यात करने पर प्रतिबंध लगाती है, खासकर जब उसके निपटान की क्षमता मूल देश में हो।
  • अगर भारत इस कचरे को अमेरिका भेजता है, तो यह संधि का उल्लंघन होगा और कानूनी समस्याएं पैदा होंगी।
    इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी और छवि को भी नुकसान होगा।

आर्थिक दृष्टिकोण: विदेश भेजने का खर्च कई गुना ज्यादा

  • कचरे को अमेरिका भेजने में अत्यधिक लागत आएगी, जिसमें परिवहन, विशेष कंटेनर और अमेरिका में निपटान की प्रक्रिया शामिल होगी।
  • भारत में उपलब्ध वैज्ञानिक समाधान की तुलना में यह खर्च कई गुना अधिक होगा।
  • यह धन की बर्बादी है, जबकि भारत में ही किफायती और सुरक्षित समाधान मौजूद है।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण: ट्रांसपोर्ट के जोखिम

  • खतरनाक कचरे को लंबी दूरी तक ले जाना एक बड़ा पर्यावरणीय खतरा है।
  • इससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ेगा और संभावित रिसाव का खतरा रहेगा।
  • विदेश भेजने का यह तर्क पर्यावरणीय स्थिरता के खिलाफ है।

व्यावहारिक समाधान: भारत में ही निपटान उचित

यूनियन कार्बाइड के कचरे का समाधान पीथमपुर में करना न केवल वैज्ञानिक रूप से सही है, बल्कि कानूनी, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी उचित है।

  • अमेरिका भेजने का तर्क अव्यवहारिक और अवास्तविक है।
  • इस समस्या का हल भारत में मौजूद तकनीकों और संसाधनों से निकाला जा सकता है।

जिम्मेदार बहस की जरूरत

यह मामला गंभीर है और इसमें जिम्मेदार पत्रकारिता और तर्कपूर्ण चर्चा की आवश्यकता है।

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  • अनावश्यक बयानबाजी और राजनीति से बचते हुए वैज्ञानिक, कानूनी और आर्थिक तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए।
  • केवल व्यावहारिक और तार्किक कदम ही इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।

“समस्या बड़ी है, लेकिन समाधान हमारे पास है। सही दिशा में कदम उठाकर हम इस मामले को सफलतापूर्वक हल कर सकते हैं।”

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