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कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता निर्वा के दो शावकों की मौत

by kishanchaubey
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मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में हाल ही में जन्मे मादा चीता निर्वा के दो शावक बुधवार को मृत पाए गए। यह घटना भारत में चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है।

घटना का विवरण

कूनो में मॉनिटरिंग टीम ने बुधवार सुबह निरीक्षण के दौरान डेन साइट पर दो शावकों के क्षत-विक्षत शव पाए।

  • समय और सूचना: शव सुबह 11 बजे मिले, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी शाम को मिली।
  • घटना से पहले, सोमवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर शावकों के जन्म की जानकारी दी थी। हालांकि, शावकों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई थी।

मुख्यमंत्री ने लिखा था:
“गूंजी किलकारियां, कूनो में आई खुशियाँ… आज चीता प्रोजेक्ट को बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुई है। हमारे ‘चीता स्टेट’ मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता ‘निर्वा’ ने शावकों को जन्म दिया है।”

चीतों का पुनर्वास और पिछली मौतें

1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। वन्यजीव संरक्षण के तहत, नामीबिया से चीतों को भारत लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया।

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  • इस पुनर्वास प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत में चीतों को फिर से आबाद करना था।
  • पिछले साल मार्च 2023 में भी छह चीतों की मौत हुई थी।

कूनो प्रोजेक्ट के सामने चुनौतियाँ

  1. पर्याप्त निगरानी की कमी: मॉनिटरिंग और सूचना के बीच देरी चीतों के सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल उठाती है।
  2. आवासीय समस्याएँ: कूनो का क्षेत्रफल और संसाधन संभवतः चीतों के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
  3. प्राकृतिक और मानव-निर्मित खतरे: चीतों के निवास क्षेत्र में गर्मी, पानी की कमी, और अन्य वन्यजीवों के हमले जैसी समस्याएँ देखी जा रही हैं।

चीतों की सुरक्षा के लिए कदम

  • सतत निगरानी: डेन साइट और शावकों की नियमित मॉनिटरिंग।
  • प्राकृतिक खतरे कम करना: शावकों के लिए सुरक्षित आवास और पोषण की बेहतर व्यवस्था।
  • पुनर्वास नीति की समीक्षा: कूनो पार्क की क्षमता और चीतों के लिए उपयुक्तता पर पुनः विचार।

भारत में चीता संरक्षण का महत्व

चीतों को पुनः भारत की पारिस्थितिकी में शामिल करना जैव विविधता को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

  • चीता भारत की पारिस्थितिकी का एक अद्वितीय हिस्सा रहे हैं।
  • उनका संरक्षण भारत के वन्यजीव पर्यटन और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण प्रयासों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

हालांकि, हाल की घटनाएँ यह स्पष्ट करती हैं कि चीता पुनर्वास परियोजना को सफल बनाने के लिए और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। मादा चीता निर्वा के शावकों की मौत से मिली सीख परियोजना की दिशा में सुधार लाने में मदद कर सकती है।

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