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ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में महाराष्ट्र से लाई गई बाघिन ‘यमुना’ ने किया पहला शिकार

by reporter
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मयूरभंज (ओडिशा) – महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) से लाई गई बाघिन ‘यमुना’ ने सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में अपना पहला शिकार किया है। बाघिन को 28 अक्टूबर को ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में विशेष रूप से तैयार बाड़े में छोड़ा गया था। गुरुवार को उसने अपना पहला शिकार किया और एक जंगली सूअर का शिकार कर अपनी भूख शांत की।

सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर प्रकाश चंद गोगिनेनी ने बताया कि बाघिन के बाड़े में उसे शिकार का मौका देने के लिए एक हिरण और एक जंगली सूअर छोड़े गए थे, जिनमें से उसने जंगली सूअर का शिकार किया। इसके बाद उसने पानी भी पिया और स्वस्थ दिख रही है। इस सफलता से वन विभाग को यकीन हुआ है कि बाघिन यमुना सिमिलिपाल के जंगल के माहौल में धीरे-धीरे ढल रही है।

गोगिनेनी ने कहा, “बाघिन ‘यमुना’ ने अपने भोजन के लिए जंगली सूअर का शिकार किया है। वह इस वक्त शांत, सक्रिय और पूरी तरह से स्वस्थ है।”

बाघिन की निगरानी के लिए विशेष इंतजाम

यमुना की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए बाड़े में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वन विभाग का कहना है कि वे उसकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं ताकि उसे सिमिलिपाल के प्राकृतिक वातावरण में पूरी तरह से ढलने में मदद मिल सके। विभाग द्वारा निगरानी के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भी तैनात की गई है, जो बाघिन की सेहत, व्यवहार और उसकी आदतों पर नजर रखेगी।

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ढाई साल की बाघिन का स्थानांतरण

बाघिन यमुना लगभग ढाई साल की है और उसे महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व से लाया गया है। 29 अक्टूबर को उसे सिमिलिपाल के मुख्य क्षेत्र में बने करीब दो हेक्टेयर के एक सुरक्षित बाड़े में छोड़ा गया। इस बाघिन का स्थानांतरण राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की अनुमति से किया गया, जिसका उद्देश्य सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या और जैव विविधता को बढ़ाना है।

सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण का उद्देश्य

सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व का ओडिशा में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह क्षेत्र न केवल बाघों के संरक्षण के लिए जाना जाता है बल्कि यहां विभिन्न वन्य जीवों और पौधों की प्रजातियों का अनूठा संगम है। सिमिलिपाल में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए पिछले कुछ वर्षों से कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत यमुना जैसी बाघिनों को यहां लाकर सिमिलिपाल के बाघों के समूह में जोड़ा जा रहा है।

बाघिन के स्थानांतरण का महत्व

वन विभाग के अनुसार, यमुना का स्थानांतरण सिमिलिपाल में बाघों की आबादी बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाया जा सकेगा, बल्कि सिमिलिपाल में बाघों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। वन विभाग का मानना है कि इस तरह के सफल स्थानांतरण भविष्य में सिमिलिपाल और अन्य टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण के नए द्वार खोल सकते हैं।

वन विभाग की यह कोशिश है कि यमुना के स्थानांतरण से सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व को एक नई ऊर्जा मिले और यहां के बाघों की संख्या में इजाफा हो सके।

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