भारत की विविधता केवल लोगों, भोजन और संस्कृति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जैव विविधता की एक अद्भुत श्रृंखला भी शामिल है। दुनिया की लगभग 6.5% वन्यजीव प्रजातियों का घर, भारत में 7.6% स्तनधारी और 12.6% पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश, यह प्राकृतिक संपत्ति खतरे में है।
हालिया जनसंख्या अनुमान के अनुसार, हाथियों की संख्या 2017 में 19,825 से घटकर 15,887 हो गई है, जो लगभग 20% की गिरावट दर्शाता है। यह आंकड़ा 2022 और 2023 के बीच DNA विश्लेषण पर आधारित है और इसमें पूर्वोत्तर राज्यों के तुश्करों को शामिल नहीं किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण आवास का नुकसान, शिकार, विद्युत प्रवाह, और ट्रेन दुर्घटनाएँ हैं। लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 528 हाथियों की अनावश्यक कारणों से मृत्यु हुई है, जिनमें से 392 मौतें विद्युत प्रवाह और 73 ट्रेन दुर्घटनाओं के कारण हुई हैं।
इस स्थिति से निपटने के लिए, वन्यजीवों के लिए सुरक्षित गलियारों का निर्माण और मानव-जानवर संघर्ष को कम करने के लिए अभिनव उपायों की आवश्यकता है। एचसीएल समूह द्वारा समर्थित द हैबिटेट्स ट्रस्ट ने तमिलनाडु के वालपाराई पठार में एक मोबाइल आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लागू की है, जो स्थानीय लोगों को हाथियों से संभावित मुठभेड़ों से बचने में मदद करती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हमें इस समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भारत की अनमोल प्राकृतिक धरोहर को बचाया जा सके।