क्या आपके गांव में बीते 5-10 सालों में हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन), लिवर सिरोसिस, पेट का कैंसर, थायराइड, सिरदर्द और जन्मजात बीमारियां बढ़ गई हैं? क्या बच्चों में “ब्लू बेबी सिंड्रोम” यानी शरीर का नीला पड़ना जैसी घातक बीमारियां देखने को मिल रही हैं? यदि हां, तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है।
नाइट्रेट प्रदूषण: किसानों के लिए अदृश्य जहर
भारत में खेती के लिए 90% पानी भूजल (ग्राउंडवॉटर) से आता है, लेकिन अधिकतर किसानों को न तो भूजल रिचार्जिंग की सही जानकारी है और न ही जल प्रबंधन का प्रशिक्षण मिला है। सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसके साथ ही 92% किसान आज भी पारंपरिक रासायनिक खेती कर रहे हैं, जिसमें प्राकृतिक और जैविक खेती की तुलना में 4 से 6 गुना अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
पिछले 25 वर्षों में कृषि उत्पादन बढ़ाने की होड़ में नाइट्रोजन आधारित रासायनिक उर्वरकों (NPK: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम) का अत्यधिक उपयोग किया गया है। यूरिया, डीएपी, सुपर फॉस्फेट, अमोनियम नाइट्रेट, अमोनियम सल्फेट, और अमोनियम फॉस्फेट जैसे उर्वरकों की अंधाधुंध खपत ने मिट्टी, पानी और हवा को जहरीला बना दिया है।
भारत के 440 जिलों में भूजल हो चुका है जहरीला
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (CGWB) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 440 जिलों का भूजल नाइट्रेट प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित है। यह संख्या देश के 56% हिस्से को कवर करती है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, यदि 1 लीटर पानी में 45 mg से अधिक नाइट्रेट पाया जाए, तो वह पानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं?
- भारत के कई हिस्सों में नाइट्रेट स्तर 100 mg/L से अधिक हो चुका है।
- पंजाब के संगरूर जिले में नाइट्रेट की सांद्रता 110 से 1180 mg/L तक पाई गई है, जो स्वीकृत सीमा से 26 गुना अधिक है।
नाइट्रेट प्रदूषण से होने वाली घातक बीमारियां
- ब्लू बेबी सिंड्रोम – नवजात शिशुओं में रक्त में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे उनका शरीर नीला पड़ने लगता है।
- हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) – नाइट्रेट युक्त पानी पीने से ब्लड प्रेशर असामान्य रूप से बढ़ सकता है।
- लिवर सिरोसिस – लिवर खराब होने की गंभीर बीमारी।
- पेट और आंतों का कैंसर – नाइट्रेट की उच्च मात्रा पेट की एसिडिटी के साथ मिलकर कैंसरजनक यौगिक (कार्सिनोजेन्स) बना सकती है।
- थायराइड समस्याएं – हार्मोनल असंतुलन और गले की बीमारियां बढ़ सकती हैं।
- जन्मजात विकृतियां – गर्भवती महिलाओं में नाइट्रेट युक्त पानी के सेवन से बच्चों में जन्मजात बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
सबसे अधिक प्रभावित राज्य
भारत के कई राज्य नाइट्रेट प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं:
- राजस्थान – भूजल में अत्यधिक नाइट्रेट की मात्रा दर्ज की गई है।
- पंजाब – कृषि क्षेत्र में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के कारण भूजल विषाक्त हो चुका है।
- तमिलनाडु और गुजरात – इन राज्यों में भी पानी का नाइट्रेट स्तर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक सीमा तक पहुंच चुका है।
- मध्य प्रदेश – जल स्रोतों में नाइट्रेट प्रदूषण खतरनाक रूप से बढ़ रहा है।
समाधान: इस जहर से कैसे बचें?
अगर हम अपनी मिट्टी, पानी और स्वास्थ्य को बचाना चाहते हैं, तो हमें जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाने होंगे। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने आवश्यक हैं:
1. ग्राउंडवॉटर रिचार्जिंग और जल संरक्षण
- वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) अपनाएं।
- चेक डैम, कुएं और तालाबों का पुनरुद्धार करें।
- पानी बचाने के लिए ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर प्रणाली का उपयोग करें।
2. रासायनिक उर्वरकों का सीमित उपयोग
- नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों की मात्रा कम करें।
- जरूरत से अधिक खाद डालने की आदत को बदलें।
3. जैविक और प्राकृतिक खेती अपनाएं
- हरी खाद (Green Manure) और वर्मी कम्पोस्ट (Vermicompost) का उपयोग करें।
- मिश्रित फसल प्रणाली (Mixed Cropping) अपनाएं जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
- प्राकृतिक उर्वरकों जैसे गोबर खाद और जीवामृत का प्रयोग करें।
4. जल गुणवत्ता की नियमित जांच करें
- किसानों को चाहिए कि वे नदी, कुएं और बोरवेल के पानी की जांच नियमित रूप से करवाएं।
- सरकार को गांवों में सस्ते जल परीक्षण केंद्र स्थापित करने चाहिए।
5. जागरूकता और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग
- किसानों को पर्यावरण-अनुकूल खेती के बारे में जानकारी दी जाए।
- जैविक खेती और जल संरक्षण योजनाओं का लाभ उठाएं।
- ‘पर ड्रॉप, मोर क्रॉप’ योजना और अन्य कृषि कल्याण योजनाओं का सही इस्तेमाल करें।