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त्योहारों से पहले यमुना में फिर दिखी झाग की मोटी परत, प्रदूषण से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर खतरा

by reporter
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दिल्ली में यमुना नदी एक बार फिर गाढ़ी झाग की मोटी परत से ढकी नजर आई, जिससे प्रदूषण को लेकर त्योहारों से पहले गंभीर चिंताएं उठ रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह झाग अमोनिया और फॉस्फेट जैसे खतरनाक रसायनों से बनती है, जो बिना शुद्ध किए गए सीवेज और औद्योगिक कचरे से पानी में मिलते हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं।

छठ पूजा जैसे बड़े त्योहारों के नजदीक आने से स्थिति और गंभीर हो जाती है, क्योंकि इस दौरान बड़ी संख्या में लोग परंपरागत रूप से यमुना में स्नान करते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में यमुना नदी को सफेद झाग से पूरी तरह ढका देखा गया, हालांकि बाद में यह झाग कुछ कम हुआ।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:

यमुना में बने इस झाग में मौजूद रसायन सांस और त्वचा से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में आने से लोगों को श्वसन संबंधी समस्याएं, एलर्जी, और त्वचा पर जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। झाग में मौजूद अमोनिया, पानी के संपर्क में आने से, त्वचा पर रासायनिक प्रतिक्रियाएं भी पैदा कर सकता है, जो संक्रमण और अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है। छठ पूजा के दौरान जब लोग बड़ी संख्या में नदी में स्नान करते हैं, तो यह खतरा और बढ़ जाता है।

पर्यावरण पर प्रभाव:

झाग के कारण यमुना के पानी की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है, जिससे नदी का पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण के चलते जलजीवों का जीवन संकट में पड़ सकता है, क्योंकि प्रदूषक पानी में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देते हैं, जिससे मछलियों और अन्य जीवों की संख्या घटती है। इसके अलावा, जैव विविधता पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रदूषण से न केवल जल जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और किसानों के लिए भी यह समस्या खड़ी कर रहा है।

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सरकारी प्रयास और विशेषज्ञों की राय:

दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने कहा है कि वे स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। ओखला और आगरा नहर के बैराजों पर इंजीनियर तैनात किए गए हैं, जो नियमित रूप से नदी की स्थिति की रिपोर्ट भेज रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि केवल अस्थायी उपाय, जैसे कि झाग हटाने के लिए डिफोमर्स का छिड़काव, इस प्रदूषण संकट का दीर्घकालिक समाधान नहीं है।

विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यमुना में प्रदूषण की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए कचरा प्रबंधन में सुधार और औद्योगिक कचरे पर सख्त नियंत्रण जरूरी है। मानसून और त्योहारों के मौसम में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, इसलिए बेहतर नीतियों और ठोस कदमों की आवश्यकता है ताकि यमुना और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके।

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