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थर्मल पावर प्लांट: पराली जलाने से कई गुना अधिक प्रदूषण, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण में ढील

by kishanchaubey
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उत्तर भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। हाल ही में जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 1500 के पार पहुंचा, तो यह पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना। पराली जलाने को अक्सर इसका मुख्य कारण बताया जाता है, लेकिन असल में थर्मल पावर प्लांट्स का योगदान इससे कहीं अधिक है।

थर्मल पावर प्लांट का प्रदूषण पर असर

थर्मल पावर प्लांट्स, जो कोयले से बिजली उत्पादन करते हैं, सालभर प्रदूषण फैलाते हैं।

  • PM2.5 और सल्फर डाइऑक्साइड का स्रोत:
    थर्मल पावर प्लांट पराली जलाने के मुकाबले 10 गुना अधिक PM2.5 और 200 गुना अधिक सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं।
  • दिल्ली-एनसीआर में स्थिति:
    अकेले दिल्ली-एनसीआर में थर्मल पावर प्लांट्स पराली जलाने की तुलना में 16 गुना अधिक सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं।

सल्फर डाइऑक्साइड कम करने की तकनीक में देरी

सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए फ्ल्यू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) तकनीक की जरूरत होती है।

  • FGD की उपयोगिता:
    यह सल्फर डाइऑक्साइड को फिल्टर करता है, जो PM2.5 बनाने का मुख्य कारण है।
  • लचर अनुपालन:
    2015 में FGD तकनीक लगाने की समय सीमा 2017 तय की गई थी, लेकिन अब तक यह दो बार बढ़ाई जा चुकी है।
    • दिसंबर 2024: दिल्ली-एनसीआर के 10 किमी दायरे में आने वाले प्लांट्स के लिए।
    • दिसंबर 2026: अन्य सभी प्लांट्स के लिए।

सरकार की ढुलमुल नीति

हाल ही में, ऊर्जा मंत्रालय ने FGD की समय सीमा को 36 महीने बढ़ाने की मांग की।

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  • कारण:
    सीमित घरेलू उत्पादन क्षमता, आयात पर निर्भरता और तकनीकी चुनौतियां।
  • नतीजा:
    600 में से सिर्फ 44 प्लांट्स ने FGD सिस्टम लगाए हैं।

प्रदूषण और सेहत पर असर

  • भारत विश्व में सबसे बड़ा सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जक:
    2022 में भारत ने दुनिया के कुल उत्सर्जन का 16% अकेले किया।
  • प्रदूषण का प्रभाव:
    सल्फर डाइऑक्साइड हवा में ऑक्सीडाइज होकर PM2.5 बनाता है, जो सांस संबंधी बीमारियों का मुख्य कारण है।

सुधार के उपाय

  1. FGD सिस्टम की अनिवार्यता:
    थर्मल पावर प्लांट्स में FGD तकनीक को तेजी से लागू करना जरूरी है।
  2. प्रभावी जुर्माना:
    समय सीमा पार करने वाले प्लांट्स पर सख्त जुर्माना लगाया जाए।
  3. नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर:
    कोयले पर निर्भरता कम कर सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए।
  4. औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण:
    केवल थर्मल पावर प्लांट्स ही नहीं, अन्य उद्योगों पर भी कड़ी निगरानी होनी चाहिए।

थर्मल पावर प्लांट्स का प्रदूषण पराली जलाने से कहीं अधिक गंभीर समस्या है। प्रदूषण कम करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे। साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर दीर्घकालिक समाधान तलाशना आवश्यक है।

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