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नदियों का कमाल – कैसे बनता है डेल्टा

by kishanchaubey
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Delta: डेल्टा वह त्रिकोणीय भू-आकृति है जो नदियों के मुहाने पर बनती है, जब नदी अपने साथ लाई मिट्टी, रेत और अन्य तलछट को समुद्र, झील या अन्य जलाशय में जमा करती है। यह प्रक्रिया नदियों की प्राकृतिक गतिविधियों का परिणाम है और उपजाऊ जमीन, जैव-विविधता और आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आइए समझते हैं कि नदियां डेल्टा कैसे बनाती हैं।

डेल्टा निर्माण की प्रक्रिया

नदियां डेल्टा बनाने के लिए एक क्रमबद्ध प्राकृतिक प्रक्रिया का पालन करती हैं, जो निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. तलछट का संग्रहण:
    • नदियां अपने उद्गम स्थल (पहाड़ों या उच्च भूमि) से बहते समय चट्टानों, मिट्टी, रेत और कंकड़-पत्थर जैसे तलछट को कटाव के माध्यम से अपने साथ ले जाती हैं।
    • यह तलछट नदी के प्रवाह के साथ मैदानों और निचले क्षेत्रों तक पहुंचती है।
  2. तलछट का परिवहन:
    • नदी की तेज गति और प्रवाह की शक्ति तलछट को लंबी दूरी तक बहाकर ले जाती है।
    • इस दौरान नदी तलछट को निलंबित (सस्पेंडेड) रूप में या अपने तल पर घसीटते हुए ले जाती है।
  3. गति में कमी और तलछट का जमाव:
    • जब नदी समुद्र, झील या किसी अन्य जलाशय में पहुंचती है, तो उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समुद्र का पानी नदी के प्रवाह को रोकता है।
    • धीमी गति के कारण नदी अपनी वहन क्षमता खो देती है, और तलछट नीचे बैठने लगती है। भारी कण (जैसे कंकड़ और रेत) पहले और हल्के कण (जैसे मिट्टी) बाद में जमा होते हैं।
  4. वितरिकाओं का निर्माण:
    • जैसे-जैसे तलछट जमा होती है, नदी का मुख्य प्रवाह छोटी-छोटी धाराओं या वितरिकाओं (distributaries) में बंट जाता है।
    • ये वितरिकाएं तलछट को और अधिक फैलाती हैं, जिससे डेल्टा का क्षेत्र विस्तारित होता है।
  5. डेल्टा का विस्तार:
    • समय के साथ तलछट की परतें जमा होकर एक त्रिकोणीय या पंखे जैसी भू-आकृति बनाती हैं, जिसे डेल्टा कहते हैं।
    • यह प्रक्रिया वर्षों, सदियों या सहस्राब्दियों तक चलती रहती है, जिससे डेल्टा का आकार बढ़ता जाता है।

डेल्टा निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक

  • नदी की तलछट मात्रा: अधिक तलछट वाली नदियां बड़े डेल्टा बनाती हैं।
  • नदी की गति: तेज प्रवाह तलछट को दूर तक ले जाता है, लेकिन धीमा होने पर जमाव शुरू होता है।
  • समुद्र की गतिशीलता: ज्वार, लहरें और धाराएं डेल्टा के आकार को प्रभावित करती हैं। कमजोर लहरों वाले क्षेत्र में डेल्टा आसानी से बनते हैं।
  • भू-आकृति: नदी के मुहाने की गहराई और ढलान भी डेल्टा निर्माण को प्रभावित करते हैं।

भारत में डेल्टा के उदाहरण

  • गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा: पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फैला, विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा, जिसे सुंदरबन डेल्टा कहते हैं।
  • गोदावरी और कृष्णा डेल्टा: आंध्र प्रदेश में, जो उपजाऊ कृषि भूमि के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • कावेरी डेल्टा: तमिलनाडु में, धान की खेती का केंद्र।

डेल्टा का महत्व

  • उपजाऊ मिट्टी: डेल्टा खेती के लिए आदर्श हैं, जैसे गंगा डेल्टा में धान की खेती।
  • जैव-विविधता: सुंदरबन जैसे डेल्टा मैंग्रोव वनों और वन्यजीवों का निवास स्थान हैं।
  • आर्थिक गतिविधियां: मछली पालन, बंदरगाह और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण।
  • बाढ़ नियंत्रण: डेल्टा बाढ़ के पानी को फैलाकर नुकसान कम करते हैं।

डेल्टा निर्माण के समक्ष चुनौतियां

जलवायु परिवर्तन: समुद्र स्तर में वृद्धि और तूफानों से डेल्टा क्षेत्र डूबने या क्षरण के खतरे में हैं।

बांध और जलाशय: नदियों पर बांध बनाने से तलछट का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे डेल्टा का निर्माण रुकता है।

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प्रदूषण: औद्योगिक और मानवीय कचरे से डेल्टा की मिट्टी और पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

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