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रसेल्स वाइपर के बच्चे का जहर वयस्क से ज्यादा खतरनाक, अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा

by kishanchaubey
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भारत के दो सबसे जहरीले सांपों पर हुए एक नए अध्ययन से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि रसेल्स वाइपर के बच्चे का विष वयस्क सांप की तुलना में अधिक घातक होता है। यह निष्कर्ष इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन से सामने आया है। यह अध्ययन सांपों के जीवन चक्र के दौरान उनके विष में होने वाले बदलावों को समझने के लिए किया गया था।

रसेल्स वाइपर बनाम कोबरा: विष की ताकत में अंतर

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने इंडियन स्पेक्टाकल्ड कोबरा (नाज़ा नाज़ा) और रसेल्स वाइपर (डाबोइया रसेली) के विष की संरचना और प्रभाव की तुलना की। उन्होंने पाया कि कोबरा के विष की ताकत उसके जीवन के हर चरण में लगभग समान रहती है, जबकि रसेल्स वाइपर के विष में उम्र के अनुसार बदलाव होता है।

विशेष रूप से, रसेल्स वाइपर के एक महीने से कम उम्र के बच्चों का जहर किशोर या वयस्क सांपों की तुलना में स्तनधारियों के लिए कहीं अधिक जहरीला पाया गया। इस अध्ययन में 200 से अधिक सांपों के विष का विश्लेषण किया गया और यह समझने की कोशिश की गई कि समय के साथ विष में किस प्रकार के बदलाव आते हैं।

छोटे सांप क्यों होते हैं अधिक जहरीले?

शोधकर्ताओं के अनुसार, विष एक अनुकूलन विशेषता है, जो सांपों के आहार और पारिस्थितिकी से प्रभावित होती है। बेबी रसेल्स वाइपर का जहर उनके आहार के अनुसार अधिक प्रभावी होता है। छोटे सांप आमतौर पर छिपकलियों जैसे छोटे सरीसृपों को खाते हैं, इसलिए उनका जहर इन जीवों को तेजी से मारने के लिए अधिक जहरीला होता है। वहीं, बड़े रसेल्स वाइपर मुख्य रूप से स्तनधारियों का शिकार करते हैं, इसलिए उनके जहर की संरचना इस अनुसार बदल जाती है।

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शोध में यह भी पाया गया कि युवा रसेल्स वाइपर का विष स्तनधारियों और सरीसृपों दोनों के लिए घातक होता है, जबकि वयस्क सांपों का विष मुख्य रूप से स्तनधारियों को मारने में ज्यादा प्रभावी होता है।

कोबरा के विष में कोई बदलाव नहीं

रसेल्स वाइपर के विपरीत, कोबरा का जहर उसके पूरे जीवनकाल में समान रूप से खतरनाक बना रहता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि इसका मुख्य कारण कोबरा के जहर में मौजूद “थ्री-फिंगर टॉक्सिन” नामक तत्व है। यह विष तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और मांसपेशियों को पंगु बना देता है।

एंटीवेनम (विष-रोधी दवा) पर क्या असर पड़ेगा?

हालांकि यह अध्ययन सांपों के विष की गहराई से समझने में मदद करता है, लेकिन वर्तमान एंटीवेनम (सांप के काटने से बचाने वाली दवा) पर इसका तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारत में अभी भी चार मुख्य विषैले सांपों – कोबरा, रसेल्स वाइपर, करैत और सॉ स्केल्ड वाइपर – के लिए केवल एक ही एंटीवेनम उपलब्ध है। लेकिन यह अध्ययन भविष्य में अधिक प्रभावी एंटीवेनम बनाने में मददगार साबित हो सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बेबी रसेल्स वाइपर के जहर की विषाक्तता को देखते हुए, हमें एंटीवेनम निर्माण में नए बदलावों पर विचार करना होगा। भारत में सर्पदंश के मामलों की संख्या बहुत अधिक है और बेहतर एंटीवेनम विकसित करने से मौतों की संख्या में कमी आ सकती है।

सर्पदंश के मामले और संभावित समाधान

भारत में हर साल हजारों लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं, जिनमें से कई की मौत हो जाती है। खासतौर पर बारिश के मौसम में और बाढ़ के समय छोटे सांपों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

आईसीएमआर (ICMR) के टास्क फोर्स प्रमुख डॉ. जयदीप सी. मेनन का कहना है कि हमें यह समझने की जरूरत है कि छोटे सांपों का विष मनुष्यों के लिए कितना घातक हो सकता है। इसके अलावा, क्षेत्र विशेष के अनुसार एंटीवेनम तैयार करने की जरूरत है, क्योंकि हर जगह सांपों के विष की संरचना अलग हो सकती है।

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