MSP: केंद्र सरकार ने विपणन वर्ष 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दी है। सरकार का दावा है कि यह कदम किसानों को उनकी उत्पादन लागत से अधिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह वृद्धि अपर्याप्त है और इससे किसानों को लाभ के बजाय नुकसान होगा।
MSP में कितनी हुई वृद्धि?
28 मई 2025 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में 14 खरीफ फसलों के MSP में वृद्धि को मंजूरी दी गई। सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड (रामतिल) में हुई, जिसमें 820 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के साथ नया MSP 9537 रुपये तय किया गया। इसके बाद रागी में 596 रुपये, कपास में 589 रुपये और तिल में 579 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई।
नई MSP दरें इस प्रकार हैं:
- धान (सामान्य): 2369 रुपये/क्विंटल (पिछला: 2300 रुपये)
- ज्वार (हाइब्रिड): 3699 रुपये/क्विंटल (पिछला: 3371 रुपये)
- बाजरा: 2775 रुपये/क्विंटल
- रागी: 4886 रुपये/क्विंटल
- मक्का: 2400 रुपये/क्विंटल
- अरहर (तूर): 8000 रुपये/क्विंटल
- मूंग: 8768 रुपये/क्विंटल
- उड़द: 7800 रुपये/क्विंटल
- मूंगफली: 7263 रुपये/क्विंटल
- सूरजमुखी: 7721 रुपये/क्विंटल
- सोयाबीन: 5328 रुपये/क्विंटल
- तिल: 9846 रुपये/क्विंटल
- नाइजरसीड: 9537 रुपये/क्विंटल
- कपास (मीडियम स्टेपल): 7710 रुपये/क्विंटल
- कपास (लॉन्ग स्टेपल): 8110 रुपये/क्विंटल
विशेषज्ञों की राय: किसानों को होगा नुकसान
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वीरेन्द्र सिंह लाठर ने बताया कि खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान सहित अधिकांश फसलों के MSP में केवल 3% की वृद्धि की गई है, जो वार्षिक थोक मूल्य सूचकांक से भी कम है।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) के अनुसार, धान की व्यापक लागत (C2) 3135 रुपये/क्विंटल है, जबकि घोषित MSP 2369 रुपये है। इससे किसानों को प्रति क्विंटल 766 रुपये का नुकसान होगा। अन्य फसलों में भी नुकसान का अनुमान है:
- ज्वार: 1110 रुपये/क्विंटल
- बाजरा: 539 रुपये/क्विंटल
- मक्का: 528 रुपये/क्विंटल
- अरहर: 2259 रुपये/क्विंटल
- मूंग: 2446 रुपये/क्विंटल
- उड़द: 2244 रुपये/क्विंटल
- मूंगफली: 1807 रुपये/क्विंटल
- सोयाबीन: 1629 रुपये/क्विंटल
- सूरजमुखी: 1826 रुपये/क्विंटल
- तिल: 3681 रुपये/क्विंटल
- नाइजरसीड: 2192 रुपये/क्विंटल
- कपास: 2366 रुपये/क्विंटल
डॉ. लाठर के अनुसार, सरकार पिछले चार दशकों से MSP को व्यापक लागत (C2) के बजाय A2+FL फॉर्मूले पर तय कर रही है और MSP की कानूनी गारंटी नहीं दे रही। इससे कृषि घाटे का सौदा बनती जा रही है, जिसके चलते किसान कर्ज में डूब रहे हैं और कुछ आत्महत्या तक करने को मजबूर हैं।
MSP के लिए लागत फॉर्मूले
कृषि लागत और मूल्य आयोग MSP तय करने के लिए तीन लागत फॉर्मूलों का उपयोग करता है:
- A2 लागत: इसमें बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मजदूरी, किराए की जमीन, मशीनरी और ईंधन जैसे वास्तविक खर्च शामिल हैं।
- A2+FL लागत: A2 लागत के साथ परिवार के श्रम का मूल्य जोड़ा जाता है।
- C2 लागत: यह सबसे व्यापक लागत है, जिसमें A2+FL के अलावा अपनी जमीन का किराया और स्थायी पूंजी (जैसे ट्रैक्टर) पर ब्याज शामिल होता है।
राष्ट्रीय किसान आयोग (स्वामीनाथन आयोग) ने सिफारिश की थी कि MSP को C2 लागत से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए। हालांकि, सरकार MSP को A2+FL लागत के 1.5 गुना के आधार पर तय करती है, जिससे वास्तविक लागत और MSP के बीच अंतर बना रहता है।
विवाद का कारण
सरकार का दावा है कि MSP किसानों को उनकी औसत लागत से 1.5 गुना लाभ देता है, लेकिन यह गणना A2+FL फॉर्मूले पर आधारित है, न कि C2 पर, जैसा स्वामीनाथन आयोग ने सुझाया था। इस अंतर के कारण MSP और वास्तविक लागत के बीच का गैप विवाद का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक MSP को C2 लागत के आधार पर 50% लाभ के साथ तय नहीं किया जाता और इसकी कानूनी गारंटी नहीं दी जाती, तब तक किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार मुश्किल है।